नई दिल्ली। सरकार नियमानुसार सालाना वितीय लेखा-जोखा दाखिल नहीं करने वाली कंपनियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की तैयारी में है। सरकार ने आज कहा कि उसने ऐसी 2.25 लाख से अधिक कंपनियों और 7,191 सीमित दायित्व भागीदारी (एलएलपी) वाली इकाइयों की पहचान की है, जिन्होंने 2015-16 और 2016-17 के लिए आवश्यक वित्तीय लेखा-जोखा जमा नहीं किया है। सरकार इस वित्त वर्ष में उनका पंजीकरण रद्द कर सकती है।
कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय इससे पहले 2.26 लाख कंपनियों का पंजीकरण रद्द कर चुका है। इन कंपनियों ने लगातार दो वर्ष या उससे अधिक समय तक वित्तीय लेखा-जोखा या वार्षिक रिटर्न दाखिल नहीं किया था। साथ ही तीन वित्त वर्ष (2013-14, 2014-15 और 2015-16) का लेखा-जोखा दाखिल नहीं करने पर 3 लाख से अधिक निदेशकों को अयोग्य घोषित किया है।
वित्त मंत्रालय ने बयान में कहा कि 2018-19 के दौरान दूसरे चरण के अभियान की शुरुआत के लिए कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 248 के तहत पंजीकरण रद्द करने के लिए 2,25,910 और कंपनियों की पहचान की गई है, जिन्होंने 2015-16 और 2016-17 का वित्तीय लेखा-जोखा दाखिल नहीं कराया है। साथ ही सीमित दायित्व भागीदारी (एलएलपी) अधिनियम 2008 की धारा 75 के तहत कार्रवाई के लिए 7,191 एलएलपी की पहचान की गई है। बयान में कहा कि कंपनियों और एलएलपी को उनकी चूक और प्रस्तावित कार्रवाई के संबंध में नोटिस के माध्यम से सुनवाई का एक मौका दिया जाएगा। उनके जवाब पर विचार करने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।
मुखौटा कंपनियों की जांच और उन पर शिकंजा कसने के लिए फरवरी 2017 में वित्त सचिव हसमुख अधिया और कॉरपोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास की अध्यक्षता में कार्यबल का गठन किया गया था। कार्यबल ने मुखौटा कंपनियों का डेटाबेस संकलित किया और तीन वर्गों- पुष्ट सूची, व्युत्पन्न (डेराइवड) सूची और संदिग्ध सूची में बांटा है। पुष्ट सूची में 16,537 मुखौटा कंपनियां हैं, अलग-अलग एजेंसियों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर यह सूची तैयार की गई है। डेराइवड सूची में 16,739 कंपनियां हैं, ये ऐसी कंपनियां हैं जिनके निदेशक वहीं हैं जो पुष्ट मुखौटा कंपनियों के निदेशक है। संदिग्ध सूची में 80,670 मुखौटा कंपनियां हैं, ये सूची गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय द्वारा तैयार की गई है।