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Bad Debt से बढ़ा सरकार का संकट, 2015-16 में 22 में से 16 सरकारी बैंकों ने नहीं दिया लाभांश

सार्वजनिक क्षेत्र के 22 में से 16 बैंकों ने 2015-16 में लाभांश नहीं दिया। इससे सरकार को प्राप्तियां दो तिहाई घटकर 1,444.6 करोड़ रुपए के रह गईं।

Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated on: November 21, 2016 14:22 IST
Bad Debt से बढ़ा सरकार का संकट, 2015-16 में 22 में से 16 सरकारी बैंकों ने नहीं दिया लाभांश- India TV Paisa
Bad Debt से बढ़ा सरकार का संकट, 2015-16 में 22 में से 16 सरकारी बैंकों ने नहीं दिया लाभांश

नयी दिल्ली। बढ़ते डूबे कर्ज की वजह से सार्वजनिक क्षेत्र के 22 में से 16 बैंकों ने 2015-16 में लाभांश नहीं दिया। इससे सरकार को प्राप्तियां दो तिहाई घटकर 1,444.6 करोड़ रुपए के रह गईं। इन बैंकों में पंजाब नेशनल बैंक, बैंक आफ बड़ौदा तथा केनरा बैंक शामिल हैं।

मार्च, 16 में समाप्त वित्त वर्ष में एसबीआई सहित सिर्फ छह सरकारी बैंकों ने लाभांश की घोषणा की, वह भी निचली दरों पर।

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मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार मुनाफा कमाने वाले बैंकों को अपनी इक्विटी का 20 प्रतिशत या कर बाद लाभ का 20 प्रतिशत, जो भी अधिक हो, लाभांश के रूप में देना होता है।

सरकार सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में बहुलांश शेयरधारक है। सरकार की लाभांश से प्राप्तियां घटकर 1,444.6 करोड़ रुपए रह गईं, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 4,336.22 करोड़ रुपए थीं।

वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार सबसे अधिक लाभांश एसबीआई ने 1,214.6 करोड़ रुपए का दिया। यह इससे पिछले वित्त वर्ष से 22 प्रतिशत कम है।

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वहीं यूनियन बैंक आफ का लाभांश भुगतान पिछले वित्त वर्ष का एक-तिहाई यानी 85 करोड़ रुपए रहा। वहीं ओरियंटल बैंक आफ कामर्स का लाभांश 2015-16 में 12.4 करोड़ रुपए पर आ गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष का 20 प्रतिशत है।

जिन बैंकों ने लाभांश का भुगतान नहीं किया उनमें इलाहाबाद बैंक, बैंक आफ बड़ौदा, बैंक आफ इंडिया, केनरा बैंक, सेंट्रल बैंक आफ इंडिया, कारपोरेशन बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, देना बैंक और सिंडिकेट बैंक शामिल हैं। साफसफाई की प्रक्रिया की वजह से ज्यादातर बैंकों का बही खाता दबाव में है।

सरकारी बैंकों का सकल एनपीए 2014-15 के 5.43 प्रतिशत या 2.67 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 2015-16 में कुल रिण का 9.32 प्रतिशत या 4.76 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया। बैंकों को अपने बही खातों की साफसफाई के लिए मार्च, 2017 तक का समय दिया गया है।

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