नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण से चिंतित केंद्र सरकार ने 15 साल और इससे ज्यादा पुराने कमर्शियल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। यह नया नियम अगले साल अप्रैल से लागू होगा। इसके अलावा सरकार वाहन उत्सर्जन को कम करने पर भी विचार कर रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले साल अपनी रिपोर्ट में कहा था कि धरती पर सबसे ज्यादा प्रदूषित 20 शहरों में से 13 शहर भारत के हैं। इनमें एक शहर दिल्ली भी है।
पुराने और बुरे रखरखाव वाले कमर्शियल वाहन पूरे देश में से सबसे ज्यादा वायू प्रदूषण फैलाते हैं। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) के अनुमान मुताबिक कुल वाहन उत्सर्जन में कमर्शियल वाहनों की हिस्सेदारी 60 फीसदी है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव विजय छिब्बर ने रॉयटर्स से कहा कि सरकार ने सभी कमर्शियल वाहनों के संचालन के लिए 15 साल की अवधि तय करने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में अगले 10 दिनों में आदेश जारी किए जाएंगे और यह नए नियम अगले साल अप्रैल से लागू होंगे।
उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण हर साल बढ़ता जा रहा है और इसके लिए हमनें अभी तक कुछ नहीं किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि वाहनों पर प्रतिबंध समस्या का केवल एक समाधान है। सीएसई के एक प्रदूषण विशेषज्ञ विवेक चट्टोपाध्याय का कहना है कि सरकार को दिल्ली में कार पर टैक्स बढ़ाना चाहिए साथ ही पार्किंग शुल्क भी बढ़ना चाहिए, जिससे निजी वाहनों के उपयोग को हतोत्साहित किया जा सके और सार्वजनिक परिवहन सुविधा को और अधिक बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्सर्जन का केवल एक कारण उम्र नहीं है। इसकी और भी कई वजह हैं।