नई दिल्ली। इस साल 1 फरवरी को जब वित्त मंत्री अरुण जेटली अपना बजट भाषण पढ़ रहे होंगे तो उस वक्त मध्यम वर्ग की निगाहें और उम्मीदें उन पर टिकी होंगी। ऐसा इसलिए क्योंकि मोदी सरकार के इस चौथे बजट में वित्तमंत्री बड़ी राहतों का खुलासा कर सकते हैं। माना जा रहा है कि वर्ष 2018-19 के आगामी आम बजट में सरकार कर छूट सीमा बढ़ाने के साथ साथ कर स्लैब में भी बदलाव कर सकती है। यदि ऐसा हुआ तो करोड़ों नौकरीपेशा लोगों को इसका सीधा लाभ प्राप्त होगा। इसके साथ ही उद्योगों के अलावा आम लोगों से जुड़ी नई योजनाओं का बिगुल भी इस बजट में फूंका जा सकता है।
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के अनुसार वित्त मंत्रालय के समक्ष व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को मौजूदा ढाई लाख रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये करने का प्रस्ताव आया है। हालांकि, छूट सीमा को पांच लाख रुपये तक बढ़ाने की समय समय पर मांग उठती रही है। यह मांग पिछले बजट में भी उठी थी, लेकिन सरकार ने उस वक्त इस पर तवज्ज़ो नहीं दी थी। चूंकि वर्ष 2018-19 का आम बजट मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट होगा, ऐसे में सरकार इस महत्वपूर्ण मांग पर कदम उठा सकती है।
सरकार का इरादा है कि वेतनभोगी वर्ग को खुदरा मुद्रास्फीति के प्रभाव से राहत दी जाए। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले बजट में आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया लेकिन छोटे करदाताओं को राहत देते हुये सबसे निचले स्लैब में आयकर की दर 10 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दी थी। सबसे निचले स्लैब में ढाई लाख से लेकर पांच लाख रुपये सालाना कमाई करने वाला वर्ग आता है।
सूत्रों की मानें तो वित्त मंत्री आगामी बजट में कर स्लैब में व्यापक बदलाव कर सकते हैं। पांच से दस लाख रुपये की सालाना आय को दस प्रतिशत कर दायरे में लाया जा सकता है जबकि 10 से 20 लाख रुपये की आय पर 20 प्रतिशत और 20 लाख रुपये से अधिक की सालाना आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाये।. वर्तमान में ढाई से पांच लाख की आय पर पांच प्रतिशत, पांच से दस लाख रुपये पर 20 प्रतिशत और 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर देय है।