नयी दिल्ली। नयी दिल्ली। रक्षा बजट में मामूली बढ़ोतरी करते हुए 2020-21 के लिए इसमें 3.37 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। पिछले बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए आवंटन 3.18 लाख करोड़ रुपये का था। सेना के तेजी से आधुनिकीकरण के लिए बजट आवंटन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन वर्ष 2019-20 के बजट अनुमान की तुलना में इस बार बढ़ोतरीमात्र 5.63 फीसदी है। 2019-20 के 3.31लाख करोड़ रुपये से तुलना करे तो इस बार आवटंन में वृद्धि मात्र 1.8 फीसदी है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शनिवार को लोकसभा में पेश आम बजट में कुल रक्षा बजट से 1.13 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय के लिए दिए गए हैं। इसका इस्तेमाल नए हथियार, वायुयान, युद्धपोत और अन्य सैन्य उपकरण खरीदने के लिए किया जाएगा। इसी तरह रक्षा बजट के राजस्व व्यय के मद में 2.09 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिसमें वेतन पर व्यय और रक्षा प्रतिष्ठानों का रखरखाव का खर्च शामिल है।
पूर्व रक्षा मंत्री सीतारमण ने 160 मिनट लंबे अपने बजट भाषण में सशस्त्र बलों को बजट आवंटन का कोई जिक्र नहीं किया। तीनों बल ज्यादा बजट आवंटन की मांग करते रहे हैं ताकि काफी समय से लंबित आधुनिकीकरण योजनाओं को आगे बढ़ाया जा सके और क्षेत्र में तेजी से बदलते समीकरण में आधुनिक अस्त्र-शस्त्र हासिल कर सके। अगर पेंशन मद में 1.33 लाख करोड़ रुपये के आवंटन को जोड़ा जाए तो रक्षा बजट 4.71 लाख करोड़ रुपये है। कुल आवटंन में पेंशन भुगतान के लिए अलग रखे गए 1.33 लाख करोड़ रुपये शामिल नहीं हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक रक्षा आवंटन जीडीपी का 1.5 प्रतिशत बना हुआ है, और यह 1962 के बाद से सबसे कम है। पिछले वर्ष बालाकोट हमले के बाद से रक्षा बजट बढ़ाए जाने की उम्मीद थी। रक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि हालांकि तीनों बलों की मांग के मुताबिक आवंटन अपर्याप्त है लेकिन देश की अर्थव्यवस्था को देखते हुए यह संतोषजनक है। पूंजी आवंटन के हिसाब से सेना को 32,392 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं जबकि 2019-20 में यह आवंटन 29,666 करोड़ रुपये था। भारतीय वायु सेना को 43,281 करोड़ रुपये आवंटित किए गए जो पिछले वर्ष आवंटित राशि 44,869 करोड़ की तुलना में 1058 करोड़ रुपये कम है। नौसेना का पूंजी आवंटन 26,668 करोड़ रुपये रहा जबकि पिछली बार यह 26,156 करोड़ रुपये था।