वाशिंगटन। प्रसिद्ध भारतीय अर्थशास्त्री ईश्वर प्रसाद ने शुक्रवार को कहा कि बजट में कई लोक-लुभावन घोषणाएं की गयी हैं और राजकोषीय संतुलन पर सरकार का रुख नरम हुआ है। अमेरिका के प्रतिष्ठित कॉरनेल यूनिवर्सिटी में व्यापार नीति के प्रोफेसर प्रसाद ने कहा कि इस बजट में निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया है। प्रसाद ने कहा कि इस बजट में राजकोषीय संतुलन प्राथमिकता में नहीं रहा है। यह बजट चुनावों के कारण अनुमान के अनुरूप लोक-लुभावन है।
उन्होंने कहा कि इसमें ऐसा कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया है जो निजी निवेश को प्रोत्साहित करे जबकि हालिया उच्च वृद्धि के दौर में भी निजी निवेश कमजोर रहा है। बहरहाल, प्रस्तावित नई स्वास्थ्य बीमा योजना तथा गरीबों को प्रत्यक्ष फायदा पहुंचाने वाले अन्य कदम स्वागत योग्य हैं। उन्होंने कहा कि बजट में यह अस्पष्ट है कि इनमें से कुछ योजनाओं के लिए पैसे कहां से आएंगे।
अमेरिका-भारत कारोबार परिषद की अध्यक्ष निशा देसाई बिस्वाल ने कहा कि भारत सरकार ने उन क्षेत्रों के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई है जो देश की आर्थिक वृद्धि और समृद्धि को आने वाले कई वर्षों तक बेहतर करेंगे। उन्होंने कहा कि ढांचागत विकास, हेल्थकेयर की उपलब्धता, किफायती आवास, ऊर्जा और सभी के लिए शिक्षा किसी भी विकासशील अर्थव्यवस्था की रीढ़ होती है। अमेरिकी उद्योग इन क्षेत्रों में भारत के साथ तालमेल बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
अमेरिका-भारत चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष करुण ऋषि ने कहा कि बजट ने आवश्यक वृद्धि की जरूरतों और राजकोषीय सावधानी का संतुलन बनाया है। कृषि और स्वास्थ्य पर जोर देना परिदृश्य बदलने वाला कदम है। ऋषि ने कहा कि हम स्वास्थ्य बीमा योजना ‘आयुष्मान भारत’ के जरिए 40 प्रतिशत गरीब परिवारों को सुरक्षा प्रदान करने की महत्वाकांक्षी तथा लीक से इतर सोच के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली की सराहना करते हैं।
सेंटर फोर स्ट्रैटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज में वाधवानी चेयर इन यूएस-इंडिया पॉलिसी स्टडीज के रिचर्ड रोसो ने कहा कि बजट किसानों एवं गरीब मतदाताओं के लिए विशिष्ट योजनाओं के विश्लेषकों के अनुमान के अनुरूप रहा है।