नई दिल्ली। उद्योग व आर्थिक क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि आम बजट में कर मुक्त आय की सीमा ढाई से बढ़ाकर तीन लाख रुपए की जा सकती है। इसके अलावा कंपनी कर की दर को मौजूदा 30-34 प्रतिशत से घटाकर 28 प्रतिशत पर लाया जा सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी बजट में कृषि क्षेत्र में निवेश और बड़ी ढांचागत परियोजनाओं पर खर्च बढ़ाने पर जोर होगा ताकि रोजगार के नए अवसर पैदा किए जा सकें। संसद में कल पेश आर्थिक सर्वेक्षण में भी युवाओं के लिए बेहतर रोजगार सृजन पर जोर दिया गया है। पढ़ें- बजट हिस्ट्री बजट का इतिहास
देखिए बजट पर वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ रजत शर्मा बातचीत: इंडिया टीवी संवाद
उद्योग संगठन पीएचडी चैंबर के कर विशेषज्ञ बिमल जैन के अनुसार वित्त मंत्री आयकर स्लैब में कुछ बदलाव कर सकते हैं। तीन लाख रुपए तक की आय को पूरी तरह से कर मुक्त किया जा सकता है। इस समय ढाई लाख रुपए तक की सालाना आय कर मुक्त है, जबकि ढाई से पांच लाख रुपए की आय पर पांच प्रतिशत की दर से कर लगता है। संभवत: वित्त मंत्री इस स्लैब को तीन से पांच लाख रुपए कर सकते हैं। इसके बाद पांच से दस लाख रुपए की आय पर 20 प्रतिशत और दस लाख रुपए से अधिक की आय पर तीस प्रतिशत दर से कर देय होगा। अधिभार दर में भी कुछ बदलाव किया जा सकता है। पढ़ें- बजट किसे कहते है बजट की परिभाषा
मौजूदा आयकर की दर इस प्रकार है:
इनकम टैक्स स्लैब | दर |
0 से 2.5 लाख रुपए तक | शून्य |
2.5 लाख से 5.00 लाख रुपए | 5 प्रतिशत |
5.00 लाख से 10.00 लाख रुपए | 20 प्रतिशत |
10.00लाखरुपएसेअधिक | 30 प्रतिशत |
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संभावित आयकर की दर इस प्रकार होगी:
इनकम टैक्स स्लैब | दर |
0 से 3.00 लाख रुपए तक | शून्य |
3.00 लाख रुपए से 7.00 लाख रुपए तक | 5 प्रतिशत |
7.00 लाख से 12.00 लाख रुपए तक | 20 प्रतिशत |
12.00 लाख रुपए से अधिक | 30 प्रतिशत |
एसोचैम अप्रत्यक्ष कर समिति के चेयरमैन निहाल कोठारी ने कहा कि सरकार पेट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती कर सकती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने के साथ ही घरेलू बाजार में पेट्रोल, डीजल के दाम चढ़ गए हैं। ऐसे में खुद पेट्रोलियम मंत्रालय ने भी पेट्रोलियम पदार्थों पर उत्पाद शुल्क घटाने की मांग की है। पढ़ें- भारतीय बजट
बिमल जैन ने कहा कि कॉरपोरेट कर की दर को मौजूदा 30 से 34 प्रतिशत के बजाये कम कर 25 से 28 प्रतिशत के दायरे में लाया जाएगा ऐसी उम्मीद है। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने अपने पहले बजट में कंपनी कर को चार साल में 30 से घटाकर 25 प्रतिशत पर लाने की घोषणा की थी। इस दिशा में शुरुआत हुई है लेकिन इसमें ठोस पहल की जरूरत है।बजट में वित्त मंत्री कंपनियों के लिए लाभांश वितरण कर (डीडीटी) समाप्त कर सकते हैं। निवेशकों के हाथ में लाभांश मिलने पर वहां कर लगाया जा सकता है। कंपनियों के प्रवर्तक सहित कई बड़े निवेशक हैं जिन्हें लाभांश के रूप में बड़ी राशि प्राप्त होती है जिसपर उन्हें कोई कर नहीं देना होता है। पढ़ें- बजट का अर्थ भारत में बजट प्रक्रिया
दिल्ली शेयर बाजार के पूर्व अध्यक्ष एवं ग्लोब कैपिटल लिमिटेड के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल का कहना है कि सरकार को पूंजीगत लाभकर में कोई छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। इस समय दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर मुक्त है, जबकि अल्पकालिक पूंजीगत लाभ पर 15 प्रतिशत की दर से कर लगता है। उन्होंने कहा कि सरकार इसमें कोई छेड़छाड़ नहीं करेगी ऐसी उम्मीद है। उन्होंने शेयर कारोबार पर लगने वाले प्रतिभूति कारोबार कर (एसटीटी) में शेयर कारोबारियों को राहत देने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि बाजार में ट्रेड करने पर जो एसटीटी दिया जाता है उसपर उन्हें आयकर में छूट मिलनी चाहिए। वित्त मंत्री अरुण जेटली एक फरवरी को इस सरकार का पांचवां व अंतिम पूर्ण बजट पेश करेंगे। पढ़ें- बजट 2018 समाचार