आज वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण अपना पहला बजट पेश करने जा रही हैं। इस बजट में दूसरे सेक्टरों की तरह ही आम लोगों से जुड़े स्वास्थ्य क्षेत्र को भी बड़ी उम्मीदें हैं। हाल में चमकी बुखार ने जिस तरह देश की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोली। उसे देखते हुए इस सेक्टर को एक बड़ी सर्जनी की जरूरत है। ऐसे में सभी यह जानना चाहते हैं कि मेडिकल सिस्टम को सुधारने के लिए सरकार बजट में क्या कर रह रही है। मतलब स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को और बेहतर बनाने के लिए सरकार इस बार बजट में कितना प्रावधान रखेगी इस पर भी सबक नजर रहेगी।
पिछले अंतरिम बजट पर गौर करें तो पीयूष गोयल द्वारा पेश बजट में साल 2019-20 के लिए 61,398.12 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया था। जो पिछले स्वास्थ्य बजट से करीब 16 फीसदी ज्यादा था लेकिन फिर भी देश की 130 करोड़ की जनसंख्या को देखते हुए स्वास्थ्य बजट नाकाफी है। सरकार स्वास्थ्य सेवा पर कम खर्च करती है। यानी मेडिकल सेवा का बजट में कम से कम रहता है। जिससे मेडिकल सेवा में सुधार नहीं हो पाता है। देश में सरकारी अस्पतालों की भी भारी कमी है।
क्या चमकी से सबक लेगी सरकार
देश में शहरी और ग्रामीण स्तर की स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई हुई हैं। यूपी से बिहार तक मेडिकल सिस्टम बिगड़ा हुआ है। यानी स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे में भारी कमी है। गांवों में इलाज न मिलने के कारण लोगों को शहर भागना पड़ता है, फिर शहर से राज्य की राजधानी फिर दिल्ली। इसका खामियाजा हमने हाल ही में बिहार में भुगता है। जहां चमकी जैसी बीमारी से डेढ़ सौ से ज्यादा मासूमों को जान गंवानी पड़ी। अगर बिहार में स्वास्थ्य सेवा बेहतर होती तो मासूमों की ज़िंदगियां बचाई जा सकती थीं।
स्तरीय मेडिकल सेवाओं की जरूरत
सबसे जरूरी है कि सरकार इस बार के बजट में मेडिकल सेवाओं पर ज्यादा ध्यान दें जिससे अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों की हालत में सुधार किया जाए। हालांकि
अंतरिम बजट में बड़े ऐलान किए गए थे उम्मीद है सरकार इस बजट में उन्हें पूरा करेगी जिसमें सरकार की आयुष्मान भारत योजना भी शामिल है। आयुष्मान भारत के लिए 6400 करोड़ रुपए का प्रावधान था। इस योजना में गरीब परिवारों को 5 लाख रुपए तक के इलाज का प्रावधान है। अंतरिम बजट में देश में 22 एम्स अस्पताल बनाने का भी ऐलान किया गया था। जिसे सरकार इस बजट में भी शामिल कर नए अस्पातल खोलने पर काम करेगी। इसके अलावा देश में चल रही जनऔषधि केंद्रों की संख्या बढ़ सकती है। इन जन औषधि केंद्रों पर लोगों को सस्ती दवा मिलती है।
ओपीडी सेवाएं बढ़ाने की जरूरत
सीनियर डॉक्टरों के मुताबिक स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करने के लिए अस्पातलों में OPD और इंमेरजेंसी व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सरकार को ध्यान देना चाहिए। साथ ही सरकारी अस्पतालों में हमेशा डॉक्टरों और नर्सं की कमी की शिकायत रहती है। इस बार के बजट से उम्मीद है कि सरकार स्वास्थ्य सेवा का बजट बढ़ाएगी। जिससे सरकारी अस्पातलों का कायाकल्प होगा और साथ ही डॉक्टरों और नर्सों की कमी को भी पूरा किया जा सकेगा।