नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को अपना पहला आम बजट पेश करने से पहले गुरुवार को अपनी टीम के साथ बजट 2019 को अंतिम रूप दिया। पूर्ण बहुमत के साथ दोबारा सत्ता में लौटी सरकार का यह पहला पूर्ण बजट है। इसलिए लोगों को इससे कुछ ज्यादा ही उम्मीदें हैं। वैश्विक स्तर पर नरमी और मानसून की चिंता के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट में राजकोषीय घाटे को काबू में रखने के साथ आर्थिक वृद्धि तथा रोजगार सृजन को गति देने पर जोर रह सकता है।
देश का आम बजट तैयार करने में वित्त मंत्री का साथ वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर और कई दिग्गज अधिकारियों ने दिया। आइए आपको बताते हैं कि निर्मला सीतारमण की टीम में कौन-कौन अधिकारी शामिल हैं, जिन्होंने इस बार के बजट को आकार देने में योगदान दिया है।
केवी सुब्रमण्यन, मुख्य आर्थिक सलाहकार
सुब्रमण्यन को रघुराम राजन ने पढ़ाया है। उन्होंने अमेरिका के शिकागो यूनिवर्सिटी से प्रोफेसर लुइगी जिंगालेस और रघुराम राजन के नेतृत्व में फाइनेंशियल इकोनॉमिक्स से पीएचडी किया है। वह गुरुवार को अपना पहला आर्थिक सर्वेक्षण भी पेश कर चुके हैं। अर्थव्यवस्था की सुस्ती को दूर करने के लिए उनकी सलाह निश्चित रूप से बजट तैयार करने में सीतारमण के लिए काफी मददगार रही।
सुभाष गर्ग, वित्त और आर्थिक मामलों के सचिव
वित्त मंत्रालय के पुराने खिलाड़ी गर्ग अर्थव्यवस्था की कई चुनौतियों से गुजरने वाली तनी हुई रस्सी पर चलने के अभ्यस्त हैं। ग्रोथ रेट कम होने, उपभोग घटने, निजी निवेश घटने के हालात में उपाय किस तरह से किया जाएं कि राजकोषीय मजबूती भी बनी रहे, इसमें गर्ग की सलाह काम आ सकती है।
अजय भूषण पांडेय, राजस्व सचिव
आधार कार्ड परियोजना को साकार करने वाली यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी में कौशल दिखाने के बाद अब यह देखना होगा कि राजस्व के मोर्चे पर अजय भूषण क्या छाप छोड़ते हैं? क्या कर राजस्व बढ़ाने और टैक्सपेयर्स की सुविधा बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी का विस्तार किया जाएगा? सुस्त अर्थव्यवस्था में सरकारी खर्च बढ़ाने की दरकार है, तो उनके सामने चुनौती काफी कठिन थी। बजट से पता चलेगा कि उन्होंने क्या सुझाव दिया है।
जीसी मुर्मू, व्यय सचिव
गुजरात काडर के आईएएस अधिकारी मुर्मू इसके पहले वित्तीय सेवाएं और राजस्व विभाग में काम कर चुके हैं। वह योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में माहिर हैं. उनके सामने चुनौती यह थी कि प्रधानमंत्री की पसंदीदा योजनाओं को भी पूरी तरह आगे बढ़ाया जाए और खर्चों पर भी अंकुश रहे।
राजीव कुमार, वित्तीय सेवाएं विभाग के सचिव
मोदी सरकार के कई प्रमुख एजेंडा जैसे सार्वजनिक बैंकों के विलय, फंसे कर्जों पर अंकुश आदि पर काम करने में राजीव कुमार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अभी उनके खाते में बीमा कंपनियों के विलय और सार्वजनिक बैंकों में सुधार की भी जिम्मेदारी है। देखना होगा कि बजट में उनकी सलाह किस रूप में सामने आती है।
अतानु चक्रवर्ती, डीआईपीएएम सचिव
1985 बैच के गुजरात काडर के इस आईएएस अधिकारी ने पिछले साल सरकार के विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने में काफी मदद की थी। उन्होंने इसके लिए कई अनूठी सलाह दी थीं। अभी भी सार्वजनिक कंपनियों की हिस्सेदारी बेचने का महत्वपूर्ण एजेंडा उनके सामने हैं। वित्त मंत्री को निश्चित रूप से उनके सलाह से इस मामले में काफी मदद मिली होगी।