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Budget 2018 : इनकम टैक्स घटाने को लेकर वित्त मंत्री ने दिया ये बड़ा संकेत, GST के बाद बजट में मिलेगी राहत

आम बजट 2018-19 में ऐसे उत्पादों पर सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क में परिवर्तन किया जा सकता है। आयकर और निगमकर में भी जेटली ने करदाताओं को राहत देने के संकेत दिए हैं, जैसा कि उन्होंने कहा है कि कर आधार में विस्तार किया गया है।

Edited by: Manish Mishra
Published on: January 28, 2018 18:27 IST
Finance Minister Arun Jaitley- India TV Paisa
Finance Minister Arun Jaitley

नई दिल्ली वित्त मंत्री अरुण जेटली की ओर से संसद में पेश किया जाने वाला मौजूदा सरकार का अंतिम पूर्ण बजट शायद पहले चार बजट से अगल होगा, क्योंकि इसपर पिछले साल लागू की गई वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली का असर रहेगा। संसद का बजट सत्र सोमवार को शुरू हो रहा है। अगले साल 2019 की पहली छमाही में ही आम चुनाव है। इस लिहाज से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मौजूदा सरकार के लिए यह अंतिम पूर्ण बजट है। आमतौर पर बजट के दो घटक होते हैं।  पहले भाग में वित्त वर्ष में लागू होने वाली नई योजनाओं और मौजूदा विविध योजनाओं व क्षेत्रों पर होने वाले खर्च और दूसरे भाग में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष करों की घोषणाएं शामिल होती हैं।

आजादी के बाद भारत के राष्ट्रवादी मध्यवर्ग का एक सपना था कि देश में एकल कर प्रणाली हो। इस सपने को साकार करते हुए केंद्र सरकार ने पिछले साल अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में व्यापक बदलाव करते हुए अनेक प्रकार के केंद्रीय व राज्य करों के बदले एकल कर प्रणाली जीएसटी व्यवस्था लागू की। इस बजट में सरकार को अब तक जीएसटी के दायरे से बाहर रहे मदों को इसमें शामिल करने की आवश्यकता होगी। मसलन, पेट्रोलियम उत्पाद अब तक जीएसटी के दायरे से बाहर हैं।

इस प्रकार आम बजट 2018-19 में ऐसे उत्पादों पर सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क में परिवर्तन किया जा सकता है। आयकर और निगमकर में भी जेटली ने करदाताओं को राहत देने के संकेत दिए हैं, जैसा कि उन्होंने कहा है कि कर आधार में विस्तार किया गया है।

अंतरराष्ट्रीय सीमा शुल्क दिवस के मौके पर शनिवार को जेटली ने कहा था कि आयकर में आधार को बड़ा बनाया गया है, क्योंकि इसमें विस्तार करना ही था। इस तरह कुछ चुनिंदा समूहों से ज्यादा कर वसूल करने की परंपरा में बदलाव लाया गया है।  चालू वित्त वर्ष के दौरान देश में 15 जनवरी, 2018 तक प्रत्यक्ष कर संग्रह में पिछले वर्ष के मुकाबले 18.7 फीसदी का इजाफा हुआ है।

जाहिर है कि 2019 में आम चुनाव होना है, इसलिए अगले साल सरकार पूर्ण बजट नहीं पेश कर पाएगी और इसके बदले लेखानुदान पेश किया जाएगा, जिसमें सिर्फ खर्च के मद शामिल होते हैं। लेखानुदान में नई योजनाएं व कराधान में बदलाव नहीं पेश किए जाते हैं।

इसके अलावा, कई राज्यों में इस साल विधानसभा चुनाव हैं। जानकारों का मानना है कि बजट में कृषि क्षेत्र को ज्यादा तवज्जो दिया जाएगा, क्योंकि कृषि विकास के आकड़ों में गिरावट आई है और इस क्षेत्र की हालत चिंताजनक है।

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