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आर्थिक समीक्षा 2018-19 : चालू खाते का घाटा 'काबू' में

संसद में सोमवार को पेश की गई 2018-19 की आर्थिक समीक्षा में आयात-निर्यात, विनिमय दर और चालू खाते के घाटे (कैड) जैसे बाह्य क्षेत्र के मोर्चों पर देश की अर्थव्यवस्था की मजबूत तस्वीर पेश की गयी है।

Reported by: Bhasha
Published on: July 04, 2019 14:34 IST
current account deficit CAD within manageable level in Economic Survey- India TV Paisa
Photo:SOCIAL MEDIA

current account deficit CAD within manageable level in Economic Survey

नई दिल्ली। संसद में सोमवार को पेश की गई 2018-19 की आर्थिक समीक्षा में आयात-निर्यात, विनिमय दर और चालू खाते के घाटे (कैड) जैसे बाह्य क्षेत्र के मोर्चों पर देश की अर्थव्यवस्था की मजबूत तस्वीर पेश की गयी है। समीक्षा के अनुसार वैश्विक उत्पादन बढ़ने से कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का दबाव होगा, लेकिन इसके बावजूद इसका असर भारत पर नहीं पड़ेगा क्योंकि वैश्विक उत्पादन में वृद्धि भारत के निर्यात में भी सहायक बनेगी।

सरकार की नीतियों के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मामले में और उदार बनने की संभावना है, जिससे चालू खाते के घाटे को पाटने वाले संसाधन और स्थिर होंगे। अगर खपत में कमी आती है और निवेश तथा निर्यात से अर्थव्यवस्था को गति मिलती है तो चालू खाते के घाटे को कम किया जा सकता है। 

वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से प्रस्तुत समीक्षा रिपोर्ट के अनुसार हालांकि 2017-18 के 1.8 प्रतिशत की तुलना में 2018-19 में चालू खाते का घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.1 प्रतिशत रहा है। समीक्षा में कहा गया है कि चालू खाते का घाटा 'काबू' में है। 

चालू खाते के घाटे में बढ़ोतरी व्यापार घाटे की वजह से हुई है जो 2017-18 के 6 प्रतिशत से बढ़कर 2018-19 में 6.7 प्रतिशत पर पहुंच गया। किसी समयावधि में चालू खाते का घाटा विदेशों से प्राप्त आय और व्यय के बीच अंतर को दर्शाता है। 

व्यापार घाटे की सबसे बड़ी वजह 2018-19 में कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी रही। हालांकि विदेशों से भारत में धन भेजे जाने के मामले में बढ़ोतरी होने से चालू खाते के घाटे में और वृद्धि थम गई। कुल मिलाकर हालांकि 2018-19 में जीडीपी के अनुपात में चालू खाते का घाटा बढ़ा, लेकिन विदेशी बकाया ऋण में लगातार कमी का रुझान रहा। 

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