नई दिल्ली। भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने सरकार से आगामी बजट में लाभांश वितरण कर (DDT) की दर को तर्कसंगत बनाते हुये 10 प्रतिशत करने की मांग की है। उद्योग मंडल का कहना है कि इससे विभिन्न अंशधारकों को देश के वित्तीय बाजारों में भागीदारी का मौका मिलेगा। CII ने सरकार को इस बारे में सौंपे प्रस्तुतीकरण में कहा है कि इसके विकल्प के रूप में, वितरित लाभांश पर कर से संबंधित कराधान के कई स्तरों की समस्या से निपटने के लिए लाभांश देने वाली कंपनी को अपने वितरित लाभांश सहित पूरे लाभ पर कंपनी कर की दर से कर देना चाहिए।
CII के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि लाभांश पर सामान्य आय के तौर पर गैर- कॉरपोरेट शेयरधारकों के हाथ में पहुंचने पर कर लगना चाहिए। इस तरह के लाभांश के समक्ष खर्चों की पूरी अनुमति होनी चाहिए। बनर्जी ने कहा कि एक अनुकूल कर ढांचा वित्तीय बाजारों के लिए काफी महत्वपूर्ण है और इसमें बाजार को बनाने या तोड़ने की क्षमता होती है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) विद्होल्डिंग कर के मामले में CII ने घटे कर की दर को ही दीर्घकालिक बनाने की सिफारिश की है। उसने कहा है कि यह व्यवसथा जून 2020 के बाद समाप्त नहीं होनी चाहिये। वर्तमान में एफपीआई को ब्याज भुगतान पर स्रोत पर विदहोल्डिंग कर कटौती 5 प्रतिशत है। यह घरेलू कंपनियों के रुपये में अंकित कार्पोरेट बॉंड में किये गये निवेश पर मिलने वाले ब्याज से संबंधित है। यह दर 20 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत पर आ गई है। यह व्यवस्था जून 2020 तक ही रखी गई है।