नई दिल्ली। तेल एवं गैस उद्योग ने सरकार से आगामी बजट (बजट 2018) में खोज एवं उत्पादन को बुनियादी ढांचा क्षेत्र का दर्जा दिए जाने की मांग की है। इसके अलावा उद्योग चाहता है कि घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर करों की दर को कम किया जाए तथा आयात पर निर्भरता घटाई जाए। इसके अलावा, उद्योग ने प्राकृतिक गैस को जल्द से जल्द वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत लाने की मांग की है, ताकि पर्यावरण के अनुकूल ईंधन के इस्तेमाल को प्रोत्साहन दिया जा सके और गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर रुख किया जा सके।
वेदांता केयर्न ऑयल एंड गैस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुधीर माथुर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम 70 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार करने और भारत द्वारा अपनी जरूरत का 80 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करने की वजह से वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा 2018-19 का बजट पेश करते समय सबसे बड़ी चुनौती राजकोषीय घाटे को अंकुश में रखने की होगी।
बजट में वह क्या चाहते हैं, इस बारे में माथुर ने कहा कि 2018 का आयात बिल अनुमानत: पांच लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। कच्चे तेल की कीमतों में और वृद्धि की वजह से कड़े वित्तीय उपायों की जरूरत होगी। उन्होंने कहा, समय की जरूरत है कि घरेलू तेल एवं गैस उत्पादन को प्रोत्साहन दिया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2022 तक आयात पर निर्भरता को दस प्रतिशत घटाने के एजेंडा पर आगे बढ़ा जाए।
ग्रेट ईस्टर्न एनर्जी कॉर्प लि. (जीईईसीएल) के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशांत मोदी ने कहा कि तेल एवं गैस उद्योग की लंबे समय से बुनियादी ढांचा क्षेत्र का दर्जा पाने की है। इससे देश में खोज गतिविधियों को आगे बढ़ाया जा सके। इससे घरेलू कच्चे तेल एवं गैस का उत्पादन बढ़ेगा और आयात बिल को नीचे लाया जा सकेगा।