नई दिल्ली। वेतनभोगी कर्मचारी उत्सुकता से आम बजट 2018 का इंतजार कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि सरकार उन्हें इनकम टैक्स में कुछ राहत दे सकती है। कानून के अनुसार वेतनभोगी कर्मचारियों को कई कटौती का लाभ मिलता है। हालांकि, रोजगार पर प्रोफेशन टैक्स के अलावा रोजगार के दौरान किए गए किसी भी अन्य खर्च पर कटौती का लाभ नहीं मिलता है। यहां कई ऐसे खर्च हैं जिन्हें कर्मचारी रोजगार के दौरान वहन करता है और वे इनपर कटौती का लाभ नहीं ले सकते। उसी समय, कुछ छूट हैं जो धारा 10 के तहत उपलब्ध हैं लेकिन उनकी भी अधिकतम सीमा कई साल पहले तय की गई थी और मुद्रास्फीति के हिसाब से उनका कोई औचित्य वर्तमान में नहीं रह गया है।
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया ने बजट 2018 के लिए दिए गए सुझाव में कहा है कि कर्मचारी को उसके रोजगार के दौरान कौशल उन्नयन सहित विभिन्न खर्चों पर भी कानून के तहत कटौती का लाभ मिलना चाहिए। बजट 2018 के लिए दिए गए अपने ज्ञापन में आईसीएआई ने सुझाव दिया है कि कर चोरी रोकने के लिए इस तरह की कटौती को एक निश्चित राशि या वेतन के प्रतिशत पर तय किया जा सकता है, जैसे वेतन का 25 प्रतिशत, लेकिन इसकी अधिकतम सीमा 5,00,000 रुपए तक रखी जा सकती है।
आईसीएआई ने सिफारिश की है कि कई तरह की छूटों को खत्म करने से कानून को सरल बनाने और बोझल प्रावधानों को दूर करने में मदद मिलेगी। वर्तमान में इनकम टैक्स की गणना 5 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 30 प्रतिशत की दर से की जाती है।
इनकम टैक्स स्लैब | दर |
2.5 लाख से 5.00 लाख रुपए |
5 प्रतिशत |
5.00 लाख से 10.00 लाख रुपए | 20 प्रतिशत |
10.00 लाख रुपए से अधिक | 30 प्रतिशत |
पिछले साल वित्त मंत्री अरुण जेटली ने व्यक्तिगत करदाताओं के लिए निम्म टैक्स स्लैब – 2.5 लाख से 5.00 लाख रुपए- में टैक्स की दर 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी थी। इसके साथ ही, जेटली ने इनकम टैक्स कानून 1961 की धारा 87ए के तहत 2.5 से 3.5 लाख रुपए सालाना आय वालों को मिलने वाली छूट को भी 5000 से घटाकर 2500 रुपए कर दिया था।
बजट 2018 मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट हैं और कुछ मीडिया रिपोट्र्स में यह कहा जा रहा है कि सरकार टैक्स फ्री इनकम को मौजूदा 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 3 लाख रुपए वार्षिक कर सकती है। ऐसी भी एक संभावना जताई जा रही है कि सरकार एक बार फिर मानक कटौती को लागू कर सकती है। हालांकि यह कहना मुश्किल है कि वित्त मंत्री बजट 2018 में मानक कटौती को दोबारा पेश करेंगे। हालांकि अधिकांश लोगों का मानना है कि स्वरोजगार और कर्मचारी के बीच समानता लाने के लिए भारत में मानक कटौती को दोबारा शुरू करने की जरूरत है। इसके परिणामस्वरूप आम जनता के पास और अधिक धन पहुंचेगा और ऐसा बजट 2018 में होना चाहिए।