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कौन बनाता है बजट?
बजट बनाने की प्रक्रिया में वित्त मंत्रालय, नीति आयोग और सरकार के अन्य मंत्रालय शामिल होते हैं। वित्त मंत्रालय हर साल खर्च के आधार पर गाइडलाइन जारी करता है। इसके बाद मंत्रालयों को अपनी-अपनी मांग को बताना होता है। वित्त मंत्रालय के बजट डिवीजन पर बजट बनाने की जिम्मेदारी होती है। यह डिवीजन नोडल एजेंसी होता है। बजट डिवीजन सभी मंत्रालयों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, स्वायत्त निकायों, विभागों और रक्षा बलों को सर्कुलर जारी करके उन्हें अगले वर्ष के अनुमानों को बताने के लिए कहता है। मंत्रालयों और विभागों से मांगें प्राप्त होने के बाद वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के बीच गहन चर्चा होती है।
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बजट बनाने के लिए सरकार किस-किस से लेती है राय?
आम बजट बनाने की प्रक्रिया में सहभागिता बढ़ाने के लिए वित्त मंत्रालय नागरिकों, विभागों, मंत्रालयों, अर्थशास्त्रियों, उद्योगों से सुझाव मांगता है। इस साल भी वित्त मंत्रालय ने बजट के लिए लोगों से आइडिया और सुझाव देने को कहा है। वित्त मंत्रालय उद्योग से जुड़े संगठनों और पक्षों से भी सुझाव मांगता है।
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बजट के लिए किन की मंजूरी होती है जरूरी?
बजट पेश करने की तारीख पर सरकार लोकसभा स्पीकर की सहमति लेती है। इसके बाद लोकसभा सचिवालय के महासचिव राष्ट्रपति से मंजूरी लेते हैं। वित्त मंत्री लोकसभा में बजट पेश करते हैं। बजट पेश करने से ठीक पहले 'समरी फॉर द कैबिनेट' के जरिए बजट के प्रस्तावों पर कैबिनेट को संक्षेप में बताया जाता है। वित्त मंत्री के भाषण के बाद सदन के पटल पर बजट रखा जाता है। बता दें, इस बार बजट निर्मला सीतारमण के नेतृत्व में तैयार किया जा रहा है।
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क्या संविधान में बजट का जिक्र है?
देश का बजट बनाने की प्रक्रिया बेहद महत्वपूर्ण होती है। लंबे समय से इसकी तैयारी होती है। हजारों लोग दिन-रात एक करके पूरा हिसाब-किताब लगाते हैं। आपको बता दें कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के अनुसार, केंद्रीय बजट किसी वर्ष सरकार की अनुमानित आमदनी और खर्च का लेखाजोखा होता है।
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क्या होती है हलवा सेरेमनी?
भारतीय संसदीय परंपरा के अनुसार हर साल देश का वित्तमंत्री बजट दस्तावेजों को पढ़कर सदन के सामने पेश करता है। यह बजट दस्तावेज बाकायदा दो भाषाओं में (हिंदी और अंग्रेजी) छापा जाता है। इस सोच के साथ कि बजट में सबके लिए मीठा या कहें शुभ रहे, इसी सोच के साथ छपाई प्रक्रिया से पहले हलवा की होती है। इसमें एक बड़ी सी कढ़ाही में हलवा तैयार किया जाता है और देश का वित्त मंत्री अपने मंत्रालय के सभी कर्मचारियों को इसे बांटता है।
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रेल बजट कब बंद हुआ?
2017 से पहले रेल बजट अलग से पेश किया जाता था। दरअसल 2017 में केंद्र ने बजट की तारीख 1 फरवरी करने के साथ रेल बजट अलग से पेश करने की परंपरा भी खत्म कर दी थी। भारतीय बजट प्रणाली के करीब 92 साल में यह पहली बार था, जब 2017 में अलग से रेल बजट पेश नहीं किया गया। देश में पहली बार 1924 में रेल बजट पेश किया गया था, जिसके बाद से हर साल आम बजट से 2 दिन पहले रेल बजट को पेश किया जाता है।
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कब से बदली बजट की टाइमिंग?
2000 तक देश का आम बजट शाम 5 बजट पेश होता था। यह भी एक बजट परंपरा थी, लेकिन इसके पीछे भी एक इतिहास और एक तात्कालीन जरूरत जुड़ी हुई थी। दरअसल जब भारत में शाम के 5 बजते थे तो उस समय लंदन में सुबह के 11.30 बज रहे होते थे। लंदन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स और हाउस ऑफ कॉमंस में बैठे सांसद भारत का बजट भाषण सुनते थे। 2001 में तत्कालीन वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने यह परंपरा खत्म की थी।
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कब से बदली बजट की टाइमिंग?
एक वित्त मंत्री के तौर पर मोरारजी देसाई ने 10 बार आम बजट पेश किया था। इनमें से 8 पूर्ण बजट थे और 2 अंतरिम। वित्त मंत्री के तौर पर मोरारजी देसाई ने पहले टर्म में पांच पूर्ण बजट 1959-60 से 1993-64 और एक अंतरिम बजट 1962-63 पेश किया था। दूसरी बार वित्त मंत्री बनने के बाद मोरारजी देसाई ने 1967-68 से 1969-70 के पूर्ण बजट को उन्होनें पेश किया था। उसके अलावा 1967-68 का एक अंतरिम बजट भी पेश किया था।
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पहला बजट किसने पेश किया?
आजाद भारत का पहला बजट तात्कालीन वित्त मंत्री आर के षणमुखम शेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया था। जॉन मथाई देश के दूसरे वित्त मंत्री थे, जिन्होंने 1949-50 का बजट पेश किया। यह ऐतिहासिक बजट था और महंगाई पर केंद्रित था। इसी बजट के जरिये देश ने योजना आयोग और पंचवर्षीय योजनाओं जैसे शब्दों को सुना था।
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पहली बार हिंदी में बजट कब आया?
1955-56 के बजट से ही बजट से जुड़े दस्तावेज हिंदी में भी तैयार किए जाने लगे थे। इसी बजट के जरिये देश ने योजना आयोग और पंचवर्षीय योजनाओं जैसे शब्दों को सुना था।
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किस पाकिस्तानी पीएम ने पेश किया था ?
लियाकत अली ने 2 फरवरी, 1946 को उस समय के लेजिस्लेटिव असेंबली भवन (आज के संसद भवन) में पेश किया था। वे आल इंडिया मुस्लिम लीग के भी शीर्ष नेता थे और पाकिस्तान की स्थापना में उनका अहम योगदान रहा। पाकिस्तान की आजादी के बाद उन्हें वहां का पहला प्रधानमंत्री बनाया गया। आजादी से पूर्व जब अंतरिम सरकार का गठन हुआ तो मुस्लिम लीग ने उन्हें अपने नुमाइंदे के रूप में भेजा। उन्हें पंडित नेहरु ने वित्त मंत्रालय सौंपा।
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कौन सा बजट ब्लैक बजट था?
साल 1973-74 के बजट को भारत के ब्लैक बजट के रूप में जाना जाता है। इस साल देश का बजट घाटा 550 करोड़ रुपए था।
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मोदी सरकार ने किन परंपराओं को खत्म किया?
बजट से जुड़ी कई परंपराओं को मोदी सरकार ने खत्म किया है। जैसे कोरोना काल में बजट की हलवा सेरेमनी खत्म कर दी गई, वहीं बजट की तारीख को फरवरी की अंतिम तारीख से बदलकर 1 फरवरी कर दिया गया। रेल बजट भी मोदी सरकार के कार्यकाल में खत्म हुआ।
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क्या बजट टीम 10 दिन तक कैद रहती है?
नॉर्थ ब्लॉक में हलवा रस्म (halwa ceremony) की अदायगी के बाद ही बजट को तैयार करने में शामिल अधिकारियों को एक तरह की कैद दे दी जाती है। संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के अधिकारी बजट बनाने वाली टीम की हर एक्टिविटी पर नजर रखते हैं। बजट छपाई से जुड़ी एक दिलचस्प बात यह है कि बजट को तैयार करने में शामिल अधिकारियों को बजट पेश किए जाने तक कैद कर दिया जाता है और बाकी दुनिया से इनका संपर्क कुछ दिन के लिए कट सा जाता है।
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कहां छपता है देश का बजट?
वित्त मंत्री का बजट भाषण सबसे सुरक्षित दस्तावेज माना जाता है। इसलिए इसे बजट की घोषणा के दो दिन पहले ही प्रिंटर्स को थमाया जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि पहले बजट के पेपर्स राष्ट्रपति भवन के अंदर प्रिंट होते थे, लेकिन साल 1950 के बजट के लीक हो जाने के बाद बजट मिंटो रोड के एक प्रेस में छपने लगा। साल 1980 से बजट नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में छप रहा है।