Cow dung powered tractor: आपने सुना होगा कि गाय के गोबर का उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है, लेकिन कभी इसकी टेस्टिंग के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली थी। हालांकि वैज्ञानिकों ने एक ऐसा ट्रैक्टर बनाया है जो गाय के गोबर से चलता है। इसे ब्रिटिश कंपनी Bennamann ने बनाया है। इसे न्यू हॉलैंड टी7 नाम दिया गया है। खेती के काम के लिए यह ट्रैक्टर बेहतर विकल्प के तौर पर सामने आई है। इसे चलाने के लिए डीजल की जरूरत नहीं है। यह ट्रैक्टर 270 हॉर्स पावर का है।
गोबर का उपयोग खेती के लिए बहुत जरूरत है। फसलों के पोषण के लिए गाय का गोबर अहम है। ऐसे में गोबर से चलने वाले ट्रैक्टर की वजह से अब गोबर का महत्व और बढ़ जाएगा। यह ट्रैक्टर डीजल से चलने वाले ट्रैक्टर की तरह काम करता है। अब जानते हैं कि गाय के गोबर का ही इस्तेमाल क्यों किया गया।
गाय का गोबर ही क्यों?
सवाल ये उठता है कि इस ट्रैक्टर के लिए गाय के गोबर का ही इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है। बता दें कि गाय के गोबर में फ्यूजिटिव मीथेन गैस पाई जाती है। जो बाद में बायो मीथेन ईंधन में बदल जाता है। इससे किसानों का काम आसान हो जाएगा। इसके साथ ही यह प्रदूषण को रोकने में भी मदद करेगा। जानकारों का मानना है कि गाय के गोबर से तैयार बायो मीथेन ईंधन से 270 बीएचपी का ट्रैक्टर भी आसानी से चलाया जा सकता है। ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने ट्रैक्टर चलाने के लिए गाय के गोबर में पाई जाने वाली मीथेन गैस का इस्तेमाल किया है। यह ठीक उसी तरह है जैसे हम सीएनजी से वाहन चला रहे हैं।
यह कैसे काम करता है?
इसे चलाने के लिए गाय के गोबर को इकट्ठा कर बायो मीथेन (पॉजिटिव मीथेन) में बदला जाता था। इसके लिए ट्रैक्टर में क्रायोजेनिक टैंक भी लगाया गया है जिसमें गाय के गोबर से तैयार बायो मीथेन ईंधन का इस्तेमाल किया जाता है। क्रायोजेनिक टैंक 162 डिग्री के तापमान में बायो मीथेन को लिक्यूइफाय करता है।
किसानों के डीजल खर्च में आएगी कमी
इस मशीन को कोर्निश कंपनी Bennamann ने बनाया है। यह कंपनी पिछले कई दशकों से बायो मीथेन उत्पादों के रिसर्च और डेवलपमेंट में लगी हुई है। इस ट्रैक्टर को टेस्ट के तौर पर कॉर्नवॉल के एक फार्म में चलाया गया था। जहां सिर्फ एक साल में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन 2500 टन से घटकर 500 टन पर आ गया। किसानों को यह ट्रैक्टर मिलने के बाद अन्य खर्च में कमी आएगी।