Highlights
- एंट्री सेगमेंट की कारों के संभावित खरीदार खरीद का फैसला टाल रहे हैं
- कोविड-19 महामारी के कारण आय प्रभावित होने से ऐसा हो रहा है
- अधिक कीमत वाले दोपहिया वाहनों की हिस्सेदारी लगभग 40% बनी रहेगी
भारतीय कार बाजार फिलहाल बड़ी मुश्किल से जूझ रहा है। बीते करीब दो वर्षों से कारों की बिक्री लगभग थमी हुई है। एसयूवी सेगमेंट में भले ही जबर्दस्त तेजी दिखाई दे रही हो लेकिन एंट्री सेगमेंट की छोटी कारों की बिक्री लगातार पछाड़ खा रही है। बता दें कि भारतीय कार बाजार में वॉल्यूम के मामले में यही सेगमेंट सबसे बड़ा योगदान देता था, लेकिन फिलहाल इसी सेगमेंट में सबसे ज्यादा गिरावट आई है।
ताजा रिपोर्ट में सामने आया है कि एंट्री सेगमेंट की कारों के संभावित खरीदार खरीद का फैसला टाल रहे हैं। क्रिसिल ने सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण आय प्रभावित होने से ऐसा हो रहा है।
प्रीमियम सेगमेंट में जोरदार ग्रोथ
प्रीमियम खंड की कारों की बिक्री बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि समृद्ध खरीदारों की आय मजबूत बनी हुई है। इसी तरह अधिक कीमत वाले दोपहिया वाहनों की हिस्सेदारी लगभग 40 प्रतिशत बनी रहेगी। प्रीमियम खंड में 10 लाख रुपये से अधिक कीमत वाली कारें आती हैं, जबकि 70,000 रुपये से अधिक कीमत वाले दोपहिया वाहन उच्च कीमत श्रेणी में आते हैं।
सस्ती कारों की ग्रोथ सिर्फ 7 प्रतिशत
रिपोर्ट में कहा गया है कि आपूर्ति-श्रृंखला के मुद्दों ने वाहन विनिर्माताओं के एक हिस्से को प्रभावित किया है। भारत में आमतौर पर पहली बार कार खरीदने वाले ग्राहक कम कीमत वाली गाड़ी खरीदते हैं। क्रिसिल ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में प्रीमियम खंड की कारों की बिक्री सस्ती कारों के मुकाबले पांच गुना तेजी से हुई। इनकी वार्षिक वृद्धि दर 38 प्रतिशत रही, जबकि सस्ती कारों की बिक्री में लगभग सात प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। नतीजतन, प्रीमियम कारों की बाजार हिस्सेदारी पिछले वित्त वर्ष में बढ़कर लगभग 30 प्रतिशत हो गई, जो 2020-21 में 25 प्रतिशत थी।