केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने गुरुवार को कहा कि इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर खरीदार पीएम ई-ड्राइव योजना के पहले साल में अधिकतम 10,000 रुपये तक की सब्सिडी ले सकते हैं। योजना की शुरूआत जल्द होगी। कुमारस्वामी ने कहा कि इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर के लिए पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत बैटरी ‘पावर’ के आधार पर 5,000 रुपये प्रति किलोवाट घंटा की सब्सिडी तय की गई है। हालांकि, पहले साल में कुल सब्सिडी 10,000 रुपये से ज्यादा नहीं होगी। दूसरे साल में ये सब्सिडी आधी 2,500 रुपये प्रति किलोवाट घंटा हो जाएगी और कुल बेनिफिट्स 5,000 रुपये से ज्यादा नहीं होगा।
थ्री-व्हीलर खरीदारों को पहले साल मिलेगी 25,000 रुपये तक की सब्सिडी
कुमारस्वामी ने कहा कि ई-रिक्शा खरीदार पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत पहले साल में 25,000 रुपये और दूसरे साल में 12,500 रुपये की सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं। मंत्री ने कहा, ‘‘इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर के लिए प्रति किलोवाट सब्सिडी पहले साल 5,000 रुपये और दूसरे साल 2,500 रुपये है। ये लाभ दो साल तक जारी रहेगा।’’ उन्होंने साफ किया कि प्रत्येक टू-व्हीलर पर अधिकतम लाभ पहले साल में 10,000 रुपये प्रति गाड़ी होगा और दूसरे साल में घटाकर इसे 5,000 रुपये कर दिया जाएगा।
इन गाड़ियों के लिए पहले साल मिलेगी 50,000 रुपये तक की सब्सिडी
फिलहाल ओला, टीवीएस, एथर एनर्जी, हीरो मोटोकॉर्प और बजाज जैसी कंपनियों के इलेक्ट्रिक स्कूटर की बैटरी क्षमता 2.88 kWh (किलोवाट घंटा) से 4 kWh तक है। इनकी कीमत 90,000 रुपये से 1.5 लाख रुपये है। कुमारस्वामी ने कहा कि ई-रिक्शा समेत बाकी थ्री-व्हीलर के लिए पहले साल में, उन्हें 25,000 रुपये का लाभ मिलेगा और दूसरे साल में ये घटकर 12,500 रुपये प्रति वाहन हो जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि L5 कैटेगरी (माल ढुलाई वाले थ्री-व्हीलर) के लिए उन्हें पहले साल में 50,000 रुपये का लाभ मिलेगा और दूसरे साल में ये 25,000 रुपये हो जाएगा।
पीएम ई-ड्राइव पोर्टल के जरिए जारी किया जाएगा आधार प्रमाणित ई-वाउचर
योजना के तहत, पीएम ई-ड्राइव पोर्टल के जरिए एक आधार प्रमाणित ई-वाउचर जारी किया जाएगा। इस पर खरीदार और डीलर हस्ताक्षर करेंगे, जिसके बाद उसे पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। खरीदार को योजना के तहत सब्सिडी का लाभ लेने के लिए पोर्टल पर ‘सेल्फी’ अपलोड करनी होगी। योजना में सरकारी सब्सिडी के गलत इस्तेमाल से बचने के बारे में भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव कामरान रिजवी ने कहा, ‘‘हमने फेम-दो से कई चीजें सीखी हैं। इसीलिए, हर छह महीने में उत्पादन की पुष्टि के लिए परीक्षण होगा। इससे ये पता चलेगा कि चीजें दुरुस्त हैं या नहीं।’’