कर्ज के मकड़जाल में फंसे पाकिस्तान की बर्बाद इकॉनमी (Pakistan Economy) किसी से नहीं छिपी है। देश का खजाना खाली होता जा रहा है और महंगाई बढ़ती जा रही है। पाकिस्तान में गरीब ही नहीं, अमीरों की हालत भी पतली है। वे भी भविष्य की सोचते हुए फूंक-फूंककर खर्च कर रहे हैं। वहां कारों की बिक्री के आंकड़े (Car Sales data in November) इस कहानी को बयां कर रहे हैं। पाकिस्तान में लगातार दूसरे महीने पैसेंजर व्हीकल सेल्स में गिरावट आई है। इससे वहां की ऑटोमोटिव इंडस्ट्री (Pakistan automotive industry) संकट में है। नवंबर महीने में पाकिस्तान में सिर्फ 4,875 ही पैसेंजर व्हीकल बिक पाए। यह एक साल पहले के आंकड़े से 68 फीसदी की गिरावट है। एक साल पहले की समान अवधि में पाकिस्तान में 15,432 पैसेंजर व्हीकल बिके थे। पाकिस्तान ऑटोमोटिव मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन ने ये आंकड़े जारी किये हैं।
पाकिस्तान में क्यों नहीं बिक रहीं गाड़ियां?
पाकिस्तान की ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में आई इस सुस्ती के पीछे कई कारण हैं। इनमें इनपुट लागत का बढ़ना, महंगाई, संघर्ष करती इकॉनमी के चलते घटी हुई मांग, पाकिस्तानी रुपये में गिरावट और वाहन खरीद पर हाई टैक्स भी शामिल हैं।
भारत में हर घंटे बिक रहीं 500 कारें
पाकिस्तान से इतर भारत में कार मैन्यूफैक्चरर्स शानदार सफलता पा रहे हैं। इन्होंने सिर्फ नवंबर में ही 3.6 लाख से अधिक यूनिट्स बेच दी हैं। इसका मतलब है कि नवंबर में भारत में हर घंटे 500 से अधिक कारें बिकी हैं। FADA द्वारा जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
पाकिस्तानी ऑटोमोटिव इंडस्ट्री का क्या होगा?
भारत और पाकिस्तान के ऑटोमोटिव मार्केट के आंकड़ों में यह भारी अंतर पाकिस्तान की ऑटोमोटिव इंडस्ट्री के भविष्य पर चिंताएं खड़ी कर रहा है। पाकिस्तान की ऑटो इंडस्ट्री इससे और बुरे हालातों से गुजरेगी या इसमें सुधार होगा, यह तो समय ही बताएगा। साउथ एशिया की ऑटोमोटिव इंडस्ट्री लगातार विकसित हो रही है और पाकिस्तान में चिंताएं लगातार बढ़ रही हैं।