जापानी ऑटो कंपनी होंडा और निसान ने मर्जर की घोषणा की है। इस मर्जर के बाद सेल के लिहाज से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी ऑटो कंपनी अस्तित्व में आएगी। गौरतलब है कि वाहन उद्योग इस समय बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है। एक तरफ यह पेट्रोल और डीजल ईंधन पर निर्भरता खत्म कर रहा है, वहीं दूसरी ओर इसे चीनी प्रतिद्वंद्वियों से तेज प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहा है। दोनों कंपनियों ने कहा कि उन्होंने सोमवार को एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। निसान के छोटे गठबंधन के सदस्य मित्सुबिशी मोटर्स ने भी अपने व्यवसायों को एकीकृत करने के लिए बातचीत में शामिल होने पर सहमति जताई है।
बेहतर प्रोडक्ट लाने में मिलेगी मदद
निसान के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) माकोतो उचिदा ने बयान में कहा कि हमें उम्मीद है कि अगर यह मर्जर सफल होता है, तो हम अपने कस्टमर को बेहतर प्रोडक्ट कम कीमत में देने में सफल होंगे। जापान में ऑटो कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में अपने बड़े प्रतिद्वंद्वियों से पीछे रह गए हैं और अब वे लागत में कटौती करने और नुकसान की भरपाई करने की कोशिश कर रहे हैं। इस महीने की शुरुआत में संभावित विलय की खबरें सामने आईं थीं। खबरों में कहा गया था कि निकट सहयोग पर बातचीत आंशिक रूप से ताइवान के आईफोन विनिर्माता फॉक्सकॉन की निसान के साथ गठजोड़ करने की आकांक्षाओं से प्रेरित थी। निसान का फ्रांस की रेनो एसए और मित्सुबिशी के साथ गठबंधन है।
मार्केट कैप 50 अरब डॉलर के पार होने की संभावना
तीनों वाहन विनिर्माताओं के बाजार पूंजीकरण के आधार पर मर्जर से 50 अरब डॉलर से अधिक कीमत की एक बड़ी कंपनी बन सकती है। होंडा और निसान के साथ फ्रांस की रेनो एसए और छोटी वाहन निर्माता मित्सुबिशी मोटर्स कॉर्प के गठबंधन को टोयोटा मोटर कॉर्प और जर्मनी की फॉक्सवैगन एजी के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी। टोयोटा की जापान की माज्दा मोटर कॉर्प और सुबारू कॉर्प के साथ प्रौद्योगिकी साझेदारी है। प्रस्तावित विलय के बाद भी टोयोटा जापान की अग्रणी वाहन विनिर्माता बनी रहेगी। उसने 2023 में 1.15 करोड़ वाहन बनाए थे। दूसरी ओर निसान, होंडा और मित्सुबिशी मिलकर 80 लाख वाहन बनाएंगी।