नया ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की तैयारी कर लोगों के लिए अच्छी खबर है। 1 जून से नया ड्राइविंग लाइसेंस नियम लागू हो रहा है। इसके बाद नया ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना बहुत ही आसान हो जाएगा। दरअसल, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने भारत में नियमों में बड़े बदलाव किए हैं, जिससे ड्राइवर का लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया बहुत सरल हो जाएगी। नए नियम में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए आरटीओ के चक्कर नहीं लगाने होंगे। बिना RTO को टेस्ट दिए ही लाइसेंस बन जाएगा। आइए जानते हैं कि 1 जून से क्या-क्या बदलाव होंगे।
1 जून से ड्राइविंग लाइसेंस के नियम ये अहम बदलाव होंगे
- नए ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए संबंधित क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों (RTO) में टेस्ट देने की मौजूदा बाध्यता खत्म हो जाएगी। ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने वाले के पास अपनी पसंद के निकटतम केंद्र पर ड्राइविंग टेस्ट देने का विकल्प होगा। सरकार प्राइवेट प्लेयर को ड्राइविंग टेस्ट लेने के लिए अधिकृत करते हुए प्रमाणपत्र जारी करेगी।
- वैध लाइसेंस के बिना वाहन चलाने पर भारी जुर्माना लगेगा। इसे बढ़ाकर ₹1,000 से ₹2,000 तक किया जाएगा। इसके अलावा, अगर कोई नाबालिग वाहन चलाता हुआ पाया गया तो उसके माता-पिता के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और 25,000 रुपये का भारी जुर्माना लगाया जाएगा। गाड़ी का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट भी रद्द कर दिया जाएगा।
- ड्राइवर का लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आवश्यक दस्तावेज को भी सरल बनाया जाएगा। इसका मतलब यह है कि मंत्रालय आवेदकों को उस प्रकार के लाइसेंस के लिए जरूरी दस्तावेजों के बारे में पहले से सूचित करेगा जिन्हें वे प्राप्त करना चाहते हैं।
- भारत की सड़कों को पर्यावरण की दृष्टि से अधिक टिकाऊ बनाने के लिए, मंत्रालय 9,000 पुराने सरकारी वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने और अन्य के उत्सर्जन मानकों में सुधार करने के तरीकों पर विचार कर रहा है।
- ड्राइवर लाइसेंस के लिए आवेदन प्रक्रिया वही रहेगी। आवेदक सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट-https://parivahan.gov.in/ पर जाकर अपना आवेदन ऑनलाइन जमा कर सकते हैं। हालांकि, वे मैन्युअल प्रक्रिया के माध्यम से आवेदन दाखिल करने के लिए अपने संबंधित आरटीओ में भी जा सकते हैं।
प्राइवेट ड्राइविंग स्कूल खोलने के लिए नियम
- ड्राइविंग स्कूल खोलने वाले के पास न्यूनतम 1 एकड़ भूमि (चार पहिया वाहन प्रशिक्षण के लिए 2 एकड़) होनी चाहिए।
- स्कूलों को उपयुक्त परीक्षण सुविधा प्रदान करनी होगी।
- प्रशिक्षकों के पास हाई स्कूल डिप्लोमा (या समकक्ष), कम से कम 5 साल का ड्राइविंग अनुभव होना चाहिए और बायोमेट्रिक्स और आईटी सिस्टम से परिचित होना चाहिए।
प्रशिक्षण अवधि
- हल्के मोटर वाहन (एलएमवी): 4 सप्ताह में 29 घंटे, 8 घंटे थ्योरी और 21 घंटे प्रैक्टिकल के होंगे।
- भारी मोटर वाहन (एचएमवी): 6 सप्ताह में 38 घंटे, 8 घंटे थ्योरी और 31 घंटे प्रैक्टिकल में विभाजित।