आम आदमी को एक बार फिर महंगाई का करंट लगने वाला है। इस बार महंगाई की मार कार बाइक या अन्य कोई वाहन चलाने वाले पर पड़ेगा। दरअसल आम आदमी के कंधे पर बीमा का बोझ बढ़ने वाला है। कंपनियां बढ़ती लागत को देखते हुए जल्द ही प्रीमियम में वृद्धि की घोषणा कर सकती हैं। माना जा रहा है कि इस वित्त वर्ष में प्रीमियम दरों में 10 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है।
क्यों बढ़ने वाली हैं बीमा की दरें
विशषज्ञों के अनुसार बीमा की दरें बढ़ने के पीछे एक प्रमुख कारण रिइंश्योरर्स की लागत बढ़ना बताया जा रहा है। दरअसल आपको बीमा देने वाली कंपनियों को जो कंपनियां इंश्योरेंस देती हैं उन्हें रिइंश्योरर कहा जाता है। रूस यूक्रेन युद्ध के बढ़ते प्रभाव के चलते इन रिइंश्योरर की लागत 30 से 40 प्रतिशत तक बढ़ गई है। ये कंपनियां बैंकों से पैसे उधार लेती हैं। लेकिन दुनिया भर के सेंट्रल बैंक लगातार ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं। ऐसे में आपको सेवा देने वाली बीमा कंपनियों पर भी लागत का बोझ बढ़ने जा रहा है। इसका सीधा असर भारत में सेवा देने वाली कंपनियों पर पड़ेगा।
क्या है भारत में इंश्योरेंस का गणित
भारत की जनरल इंश्योरेंस इंडस्ट्री के क्षेत्र में 24 कंपनियां कार्यरत हैं। ये सभी कंपनियां कुल मिलाकर जनरल इंश्योरेंस इंडस्ट्री में 84 फीसदी मार्केट की हिस्सेदारी रखती हैं। भारतीय कंपनियां अप्रत्याशित देनदारियों और भारी नुकसान के प्रभाव को कम करने के लिए बड़े बीमा कवर खरीदती हैं। वे आमतौर पर आग, समुद्री-संबंधित जोखिमों, इंजीनियरिंग और व्यावसायिक रुकावटों से बचाव के लिए बीमा कवर खरीदते हैं।
81000 करोड़ का है मोटर बीमा कारोबार
भारतीय मोटरव्हीकल एक्ट के तहत देश में गाड़ी चलाने के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस अनिवार्य है। वित्त वर्ष 2023 में जनरल इंश्योरेंस इंडस्ट्री के कुल कारोबार में अकेले मोटर इंश्योरेंस ने प्रीमियम में करीब 81,292 करोड़ रुपये का योगदान दिया है।