Maruti Suzuki car price hike : मारुति सुजुकी की कारें अब महंगी हो गई हैं। इस दिग्गज ऑटोमोबाइल कंपनी ने अपनी गाड़ियों की कीमतों इजाफा किया है। कंपनी ने मंगलवार को अपने वाहनों की कीमतें तत्काल प्रभाव से बढ़ाने की घोषणा की है। मोटर वाहन निर्माता ने शेयर बाजार को दी जानकारी में बताया कि सभी मॉडल्स में वृद्धि का अनुमानित भारित औसत 0.45 प्रतिशत है। यह प्राइस हाइक दिल्ली में मॉडल्स की एक्स-शोरूम कीमतों पर हुई है। कंपनी के अनुसार, नई कीमतें 16 जनवरी 2024 से लागू हो गई हैं। मारुति सुजुकी इंडिया (MSI) ऑल्टो से लेकर इनविक्टो तक कई पॉपुलर कारें बेचती है। इनकी कीमत 3.54 लाख से लेकर 28.42 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) के बीच है। इस प्राइस हाइक की पहली बार घोषणा नवंबर में हुई थी। लेकिन यह आज से प्रभावी हुई है।
पैसेंजर व्हीकल एक्सपोर्ट में सबसे आगे है मारुति
अप्रैल से दिसंबर की अवधि में मारुति सुजुकी इंडिया यात्री वाहन निर्यात में सबसे आगे रही। इस दौरान इसने 2,02,786 यूनिट्स डिस्पैच की, जो पिछले साल से 6% अधिक है। हुंडई मोटर इंडिया ने 1,29,755 यूनिट्स का निर्यात किया, जो पिछले वर्ष के इसी अवधि के 1,19,099 यूनिट्स से अधिक है। अप्रैल से दिसंबर के बीच किआ इंडिया ने 47,792 यूनिट्स, Volkswagen ने 33,872 यूनिट्स, निसान ने 31,678 यूनिट्स और होंडा कार्स ने 20,262 यूनिट्स का निर्यात किया। एसआईएएम के महानिदेशक राजेश मेनन ने यात्री वाहन निर्यात में वृद्धि का श्रेय नए वाहन लॉन्च, दक्षिण अफ्रीका और खाड़ी क्षेत्र जैसे बाजारों में मांग में उछाल को दिया।
21% गिरा भारतीय कारों का निर्यात
पिछले साल भारतीय कारों का निर्यात कई विदेशी बाजारों में धन की समस्याओं और राजनीतिक मुद्दों के कारण 21% गिर गया था। सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स के हाल के आंकड़ों से यह जानकारी पता लगी है। पिछले साल कुल निर्यात 42,85,809 यूनिट्स का था, जो 2022 के 52,04,966 यूनिट्स से कम है। हालांकि, कुल निर्यात में गिरावट आई है, लेकिन भेजी गई यात्री कारों की संख्या 5% बढ़कर 6,77,956 यूनिट हो गई।
इन गाड़ियों का एक्सपोर्ट घटा
वाणिज्यिक वाहनों, दोपहिया वाहनों और तिपहिया वाहनों का निर्यात कम हुआ है। दोपहिया वाहनों का निर्यात 20% घटकर 32,43,673 यूनिट रह गया। वाणिज्यिक वाहनों का शिपमेंट घटकर 68,473 यूनिट रह गया और तिपहिया वाहनों का निर्यात 30% घटकर 2,91,919 यूनिट रह गया। यात्री कारों के निर्यात में वृद्धि इसलिए हुई, क्योंकि पिछले वर्ष की तुलना में सप्लाई चेन स्मूथ थी।