Tyre Maintenance: एक अच्छी कार की लुक भले ही उसके पेंट और इन्टीरीअर से आती हो, पर उसमें सबसे इम्पॉर्टन्ट जगह टायर्स की भी होती है। आपने कभी गौर किया होगा कि गाड़ी के टायर भी गाड़ी के मॉडल और वैरिएन्ट के हिसाब से बदलते रहते हैं। दो अलग-अलग ब्रांड की गाड़ियां देखने में भले ही एक साइज की दिखती हों पर उसके टायर देखकर कोई एक्सपर्ट बता सकते हैं कि कौन सी गाड़ी प्रीमियम है और कौन सी इकनॉमिक है।
ये कार टायर्स ही हैं जिनका सबसे ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत होती है। इसके मेंटेनेंस के लिए आपको अपनी कार के सर्विस सेंटर पर डिपेंड होने की जरूरत नहीं है, आप खुद भी अपनी कार के टायर्स को मेंटेन कर सकते हैं।
सही इन्फ्लैशन प्रेशर है जरूरी
कार के टायर की उम्र उसमें पड़ी हवा के प्रेशर से भी तय होती है। सही प्रेशर रखने से कार स्मूद भी चलती है और टायर भी लॉन्ग लास्टिंग चलते हैं। आप अपनी कार के टायर्स को हर हफ्ते टायर प्रेशर गेज की मदद से चेक कर सकते हैं। ये एक मीटर होता है, जिसको टायर के साथ अटैच करना बहुत आसान होता है। आप इसे अटैच कर चेक कर सकते हैं कि कार में कितना PSI हवा है। यह PSI कितना होना चाहिए, ये हर कार की मैनुअल के साथ लिखा आता है। या आप ऑनलाइन अपनी कार के टायर का साइज डालकर भी आइडियल PSI चेक कर सकते हैं।
बेवजह की ड्रिफ्टिंग रोलिंग है बेकार
कई बार ऐसा होता है कि नई कार लेने पर या किसी खाली जगह देखकर रेसिंग कार्स की तरह अपनी कार के टायर्स भी ड्रिफ्ट करने लगते हैं। लेकिन टायर की सेहत का ख्याल रखते हुए ये स्टन्ट नहीं करना चाहिए। रेसिंग कार्स को ड्रिफ्ट इसलिए किया जाता है क्योंकि वहां कम समय में ज्यादा दूरी घुमावदार रास्तों से होकर पार करनी होती है। ड्रिफ्टिंग करने से कार टायर किसी एक तरफ से घिस जाते हैं और कार का बैलन्स खराब होता है। इसीलिए रेसिंग कार्स के टायर्स बार-बार बदलने पड़ते हैं।
इसी तरह अगर गाड़ी कहीं मिट्टी, बर्फ या कीचड़ में फंस जाती है तो बार-बार एक्सलरेट करके टायर्स को एक ही जगह पर घुमाने से टायर्स खराब होते हैं। ऐसे में बेहतर होता है कि गाड़ी को धीरे-धीरे आगे-पीछे करके उस जगह से निकाला जाए, या किसी की मदद लेकर धक्का लगवाया जाए।
टायर का सही अलाइंगमेंट है बहुत जरूरी
कई बार ऐसा भी होता है कि पंचर के बाद स्टेपनी खुद लगाने के बाद टायर ठीक से अलाइन नहीं होते हुए भी कुछ लोग गाड़ी चलाते रहते हैं। ऐसा करने से टायर खराब होने का डर तो रहता ही है, साथ ही दुर्घटना के चांस भी बनते हैं। इसलिए टायर का प्रापर अलाइनमेंट न होने पर उसे सर्विस सेंटर में ले जाना बहुत जरूरी है। ऐसी ही छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखकर अपने टायर की मेंटेनेंस की जा सकती है।