Highlights
- 29 सितंबर को E-Bike के फर्स्ट लुक से उठाएगी पर्दा
- 80 के दशक में ग्राहकों में थी पॉपुलर
- डिजाइन को धांसू लुक देने की कोशिश
LML E Bike: अगर आपको 80 के दशक की टू-व्हीलर बाइक या स्कूटर याद हो तो आपको एलएमएल (LML) की गाड़ियां जरूर याद होगी। आपकी याद को ताजा करने के लिए कंपनी वापस से भारतीय मार्केट (Indian Market) में एंट्री लेने जा रही है। LML के CEO योगेश भाटिया ने इंडिया टीवी से खास बातचीत में बताया कि कंपनी 29 सितंबर को अपने नए E-Bike के फर्स्ट लुक से पर्दा उठाने को लेकर पूरी तरह तैयार है। इस मौके पर कंपनी अपने आगामी भविष्य की नीतियों के बारे में भी जानकारी देगी।
भारत इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए हब बन गया है। दुनिया की सभी छोटी-बड़ी कंपनियां भारत में व्यापार करना चाह रही है। केंद्र सरकार इलेक्ट्रिक गाड़ियों (Electric Vehicle) पर सब्सिडी भी दे रही है।
80 के दशक में ग्राहकों में थी पॉपुलर
शुरुआती दौर में कंपनी का फोकस ई-हाइपरबाइक, ई-बाइक और ई-स्कूटर पर होगा। एलएमएल इलेक्ट्रिक के एमडी और सीईओ डॉ. योगेश भाटिया (Yogesh Bhatia) ने कहा है कि वह भारतीय बाजार को लेकर बेहद उत्साहित हैं वह चाहते हैं कि जैसे 80-90 के दशक में कंपनी ग्राहकों की पहली पसंद हुआ करती थी। उस मुकाम पर कंपनी को पहुंचाया जाए।
कंपनी का कहना है कि वह इस बात को सुनिश्चित करेगी कि इलेक्ट्रिक वाहनों का भविष्य कैसा होने वाला है और इसे हाई क्लास टेक्नोलॉजी की मदद से कैसे बेहतर बनाया जा सकता है। हमें उम्मीद है कि हमारी गाड़ी भारतीय बाजार में सर्वाधिक पसंद की जाने वाली वाहनों की लिस्ट में जल्द शामिल होगी।
डिजाइन को धांसू लुक देने की कोशिश
कंपनी का दावा है कि उसने इलेक्ट्रिक वाहनों को बनाने में उन्नत किस्म की इंजीनियरिंग तकनीक का प्रयोग किया है। साथ ही कंपनी के डिजाइन को धांसू लुक देने की कोशिश की गई है। कंपनी अपने यूएसपी को मजबूत करने की दिशा में भी कार्य कर रही है।
कैसा है एलएमएल का इतिहास
1972 में LML (पूर्व में लोहिया मशीनरी लिमिटेड) की स्थापना हुई थी। यह एक प्रमुख भारतीय दोपहिया निर्माण कंपनी है, जो स्कूटर, मोटरसाइकिल, मोपेड के साथ-साथ पुर्जों और सहायक उपकरण के उत्पादन और बिक्री का बिजनेस करती है। कानपुर में कंपनी का मुख्यालय है। कंपनी अमेरिका, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, न्यूजीलैंड सहित दुनिया के विभिन्न देशों में अपने प्रोडक्ट का निर्यात करती है। कंपनी का 80-90 के दशक में भारतीय बाजार में जलवा हुआ करता था।