बदलते वक्त और बदलती टेक्नोलॉजी में मॉडिफिकेशन करवाना तो सामान्य है, लेकिन मॉडिफिकेशन से पहले उससे जुड़ी बातों को इग्नोर करना नहीं चाहिए। इसलिए अब अगर आप विचार कर रहें हैं कि अपनी कार को मॉडिफाई करवाने की, तो सबसे पहले मॉडिफिकेशन से जुड़े कुछ नियम और कानून को जरूरी जान लें। दरअसल कार को अलग लुक देने में कोई परेशानी नहीं है पर कुछ चीजों के मॉडिफिकेशन की सलाह आरटीओ डिपॉर्टमेंट की ओर से नहीं दी जाती है। इसलिए यहां हम उन चीजों के बारे में आपके साथ जानकारी शेयर करने जा रहें हैं जिसे आपको अलग तरह से मॉडिफाई करवाने की जरूरत नहीं है।
गाड़ियों में मॉडिफिकेशन करवाएं, लेकिन निम्नलिखित पार्ट्स में नहीं-
फैंसी नंबर प्लेट- फैंसी नंबर प्लेट कुछ दिनों पहले तक आम बात थी, लेकिन अब इसके प्रति सरकार ने सख्त रवैया अपना लिया है। अब पूरे देश में कानूनी रूप से नंबर प्लेट को लेकर एक ही नियम है जिसके तहत किसी भी वाहन में IND वाली नंबर प्लेट का होना जरूरी है। अगर नहीं है तो आप भारी चालान के दायरे में आ सकते हैं।
एक्सट्रा लाइट्स- बहुत से लोगों को चमक धमक बहुत पसंद होती है और यही कारण है कि वो गाड़ियों में भी एक्सट्रा लाइट लगवाना पसंद करते हैं। लेकिन ध्यान रहे ये कानूनी रूप से गलत भी माना जा सकता है। दरअसल CMVR एक्ट के अनुसार एक्सट्रा लाइट से जुड़े कुछ नियम हैं जिसमें पहले से ही थीम और लाइटिंग को विस्तार से बताया गया है। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं, तो ट्रैफिक पुलिस आपका चालान काट सकती है।
साइलेंसर- साइलेंसर लगाने के पीछे दो मकसद जुड़े होते हैं। पहला तय मात्रा में कार्बन उत्सर्जन और गाड़ी के शोर को कम करना, लेकिन लोग शौकिया तौर पर अलग अलग साउंड साइलेंसर गाड़ियों में फिट करवा लेते हैं। हालांकि नियम के अनुसार साइलेंसर में बदलाव नहीं करना चाहिए।
लाउड हार्न - कंपनियां गाड़ी में अक्सर हार्न देती हैं, लेकिन बहुत से लोग अपनी पसंद का हार्न लगवा लेते हैं। जिसके कारण साउंड पॉल्यूशन के साथ साथ कानूनी रूप से भी गाइडलाइन का उल्लंघन है। इसके साथ प्रेशर हार्न की भी इजाजत नहीं गई जाती है।
इन बातों को ध्यान में रखकर ही मॉडिफिकेशन करवायें, नहीं तो मॉडिफिकेशन के खर्चे के बाद नियम तोड़ने के साथ-साथ फाइन भी देनी पड़ सकती है।