भारत जैसे गर्म देश में ट्रक ड्रायवर दिन के 12 से 14 घंटे सड़कों पर बिताते हैं। भीषण गर्मी के बीच लोहे के केबिन में लगातार ड्राइव करना किसी सजा से कम नहीं है। ट्रक ड्रायवरों पर यह तनाव कई बार दुर्घटना का भी कारण बनाता है। इसे देखते हुए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। 2025 के बाद देश में कुछ खास कैटेगरी के ट्रकों के केबिन में AC (AC In Truck Cabins) को अनिवार्य कर दिया है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने ट्वीट करते हुए इस फैसले की जानकारी दी है।
ट्रकों में AC केबिन को अनिवार्य करने से जुड़े ड्राफ्ट नोटिफिकेशन पर परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मुहर लगा दी है। उन्होंने ट्वीट कर बताया कि N2 और N3 कैटेगरी के ट्रकों के केबिन में एयर कंडीशनिंग सिस्टम लगाया जाएगा।
सरकर ने दी मंजूरी
गडकरी ने ट्विटर पर लिखा, 'ट्रक ड्राइवर रोड सेफ्टी सुनिश्चित करने में अहम योगदान निभाते हैं। ये एक महत्वपूर्ण फैसला है, जिससे ट्रक ड्राइवरों को काम का आरामदायक माहौल उपलब्ध हो पाएगा। इससे उनकी कार्यकुशलता बढ़ेगी और थकान की समस्या से निजात मिलेगी।'उन्होंने कहा, 'जब मैं मंत्री बना तो मुझे लगा कि 44 से 47 डिग्री टेंपरेचर में कैसे ड्राइवरों की हालत खराब होती होगी। मैंने AC केबिन का प्रस्ताव दिया तो कुछ लोगों ने ये कह कर विरोध किया कि इससे कॉस्ट बढ़ेगी। लेकिन अब फाइनली मैंने आदेश की कॉपी पर साइन कर दिया है।'
N2 और N3 कैटागरी क्या है?
N2- इस केटेगरी में आने वाले ट्रकों का कुल वजन 3.5 टन से ज्यादा, लेकिन 12 टन से कम होता है।
N3- इस केटेगरी में वो ट्रक आते हैं, जिनका कुछ वजन 12 टन से ज्यादा होता है।
2025 से लागू होगा फैसला
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जून में दिए बयान में कहा था कि ट्रक इंडस्ट्री को केबिन अपग्रेडेशन के लिए 18 महीने का समय जरूरी था। ट्रक इंडस्ट्री को केबिन अपग्रेडेशन के लिए 18 महीने का समय जरूरी है। ये फैसला साल 2025 से लागू होगा। 20 जून को नितिन गडकरी ने 'देश चालक' पुस्तक के विमोचन पर AC केबिन्स को अनिवार्य करने के आदेश पर दस्तखत करने की बात बताई थी। ये पुस्तक भारतीय ड्राइवरों पर आधारित थी। गडकरी के इस आदेश के बाद ऑटो कंपनियों के कुछ शेयरों में तेजी भी आई थी।
विदेशी ट्रकों में मिलता है AC
वॉल्वो और स्कैनिया जैसी कुछ मल्टीनेशनल कंपनियों के हाई-एंड ट्रक पहले से ही AC केबिन के साथ आते हैं। वहीं टाटा, महिंद्रा, अशोक लेलेंड जैसी भारतीय ट्रक कंपनियां ऐसा करने में पीछे रही हैं। सड़क परिवहन मंत्रालय ने पहली बार 2016 में ये प्रस्ताव दिया था। नितिन गडकरी ने कहा कि देश में ड्राइवरों की कमी के कारण उन्हें 12 या 14 घंटे ट्रक ड्राइव करने होते हैं। जबकि कई दूसरे देशों में बस और ट्रक ड्राइवरों के ड्यूटी पर रहने के घंटे तय हैं।'