Highlights
- हिंदुस्तान मोटर्स अब इलेक्ट्रिक वाहनों की दुनिया में कदम रखने जा रही है
- 2017 में एम्बेसडर ब्रांड मात्र 80 करोड़ में प्यूजो SA के हाथों बिका
- 1980 तक एम्बेसडर की बाजार में थी 75% हिस्सेदारी
देश में प्रधानमंत्री से लेकर कलेक्टर तक की पसंदीदा कार एम्बेसडर बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान मोटर्स अब इलेक्ट्रिक वाहनों की दुनिया में कदम रखने जा रही है। इसके लिए कंपनी एक अग्रणी यूरोपीय कंपनी के साथ करार पर बातचीत कर रही है। अंग्रेजी बिजनेस अखबार की खबर के अनुसार हिंदुस्तान मोटर्स दो पहिया और चार पहिया वाहनों के क्षेत्र में कदम रखेगी। इलेक्ट्रिक वहानों के निर्माण को लेकर समझौता हो चुका है। अगले 2-3 महीनों में कंपनी बड़ा ऐलान भी कर सकता है।
बिजनेस स्टैंडर्ड से हुई बातचीत में हिंदुस्तान मोटर्स के डायरेक्टर उत्तम बोस ने कहा कि कंपनी शुरूआती दौर में दो पहिया वाहनों पर फोकस करेगी। बाद में चलकर कार लॉन्च की जाएगी। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि समझौते में शामिल कंपनी साझेदारी करेगी या फिर हिन्दुस्तान मोटर्स में हिस्सेदारी खरीदेगी।
एम्बेसडर की फैक्ट्री में ही बनेंगे इलेक्ट्रिक वाहन
कोलकाता के उत्तरपाड़ा में हिंदुस्तान मोटर्स का संयंत्र है। इसी कारखाने में एम्बेसडर कारें बना करती थीं। यह कारखाना 2014 से बंद पड़ा है। इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण इसी कारखाने में होगा। इसके अलावा कंपनी का मध्य प्रदेश के इंदौर के निकट पीथमपुर में एक और कारखाना है, यहां पर 4 दिसंबर, 2014 को छंटनी कर दी गई थी।
सरकार की पसंदीदा कार थी एम्बेसडर
भारत में कार बनाने वाली पहली देशी कंपनी हिंदुस्तान मोटर्स ही थी। इसकी बुनियादी सीके बिड़ला के दादा बीएम बिड़ला ने की थी। आजादी के करीब 70 साल तक इसे सरकारी कार का दर्जा मिलता रहा था। देश के प्रधानमंत्री से लेकर जिले के कलक्टर तक इसी कार की सवारी करते थे। दूसरे शब्दों में कहें तो यही कार लाल बंत्ती की असली पहचान थी।
मारुति से पहले 75 प्रतिशत मार्केट शेयर
1970 के दशक तक भारतीय बाजार में दो प्रमुख कारें थी, एम्बेसडर और प्रीमियर पद्मिनी जिसे फिएट भी कहते थे। इस दौर में एम्बेसडर का मार्केट शेयर 75 फीसदी था। मगर 1983 में मारुति सुजूकी ने मारुति 800 कार उतारी , जिसके बाद एंबेसडर का जादू फीका पडऩे लगा। रिपोर्ट बताती हैं कि 1984 से 1991 के बीच एंबेसडर की बाजार हिस्सेदारी घटकर केवल 20 फीसदी रह गई। उसके बाद दुनिया भर की कार कंपनियां भारत चली आईं और एंबेसडर की राह पहले से भी मुश्किल हो गई।
सिर्फ 80 करोड़ में बिका एम्बेसडर ब्रांड
2014 को उत्पादन बंद होने तक कंपनी की हालत बेहद खराब हो गई थी। सिर्फ सरकारी खरीदारी पर निर्भर इस कंपनी के बाजार में नाममात्र के ग्राहक थे। सरकारी खरीद में कटौती के बाद कंपनी बंदी की कगार पर आ गई। एक समय देश की शाही सवारी कहा जाने वाला एम्बेसडर ब्रांड 2017 में केवल 80 करोड़ रुपये में प्यूजो एसए के हाथ बेच दिया गया।