Hero MotoCorp Price Hike: दोपहिया वाहन बनाने वाली कंपनी हीरो मोटोकॉर्प तीन जुलाई से मोटरसाइकिलों और स्कूटरों की कीमत में लगभग 1.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने की शुक्रवार को घोषणा की है। कंपनी ने कहा कि लागत मूल्य में बढ़ोतरी एवं कई कारकों से कीमत में यह बढ़ोतरी की जा रही है। कंपनी ने कहा कि मूल्य अलग-अलग मॉडल व बाजार के आधार पर तय की जाएगी। इससे पहले अप्रैल में भी हीरो मोटोकॉर्प ने दोपहिया वाहनों की कीमत दो प्रतिशत तक बढ़ाई थी। कंपनी ने कहा कि मोटरसाइकिल और स्कूटरों की कीमत में बढ़ोत्तरी कंपनी की ओर से समय-समय पर की जा रही मूल्य समीक्षा का हिस्सा है। कंपनी यह समीक्षा मूल्य स्थिति, उत्पादन लागत और व्यावसायिक अनिवार्यताएं जैसे विभिन्न कारकों को ध्यान में रखते हुए करती है। हीरो मोटोकॉर्प ने कहा कि वह ग्राहकों पर इसके प्रभाव को कम से कम करने के लिए नवोन्मेषी वित्तपोषण कार्यक्रमों को जारी रहेगी।
इसी महीने के 1 तारीख को ई स्कूटर्स हुए थे महंगा
देश में सस्ते इलेक्ट्रिक स्कूटर्स (Electric Scooter) का दौर अब खत्म होता दिख रहा है। इसी महीने के 1 जून से भारत में बिकने वाले सभी इलेक्ट्रिक स्कूटर महंगे हो चुके हैं। क्योंकि 1 जून या उसके बाद पंजीकृत इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों को केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सब्सिडी (FAME 2) घटा दी गई है, जिसके चलते कंपनियां ग्राहकों को पहले जितना फायदा नहीं दे पा रही है।
मामला क्या है?
पिछले महीने उद्योग मंत्रालय भारत सरकार ने नया नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके तहत मंत्रालय द्वारा समर्थित FAME-II (फास्टर एडॉप्शन ऑफ मैन्युफैक्चरिंग इलेक्ट्रिक एंड हाइब्रिड व्हीकल्स इन इंडिया) योजना के तहत इलेक्ट्रिक स्कूटर के लिए सब्सिडी एक जून से कम की जा रही है। इसका मतलब यह है कि एक बार परिवर्तन प्रभावी होने के बाद, दोपहिया ईवी के लिए अधिकतम सब्सिडी वाहन के मूल्य के मौजूदा 40% से घटकर 15% हो जाएगी। दूसरी ओर, सब्सिडी मौजूदा 15,000 रुपये के बजाय ईवी की बैटरी क्षमता के प्रति किलोवाट घंटा kWh 10,000 रुपये होगी। मौजूदा नियम के तहत यह सब्सिडी ईवी बनाने पर प्रति गाड़ी 60,000 रुपये तक बैठती थी। मगर अब यह घटकर 22,500 रुपये प्रति गाड़ी हो गई है।
फेम-II क्या है?
यह योजना 1 अप्रैल, 2019 को 3 साल की अवधि के लिए लागू हुई थी, और अब 31 मार्च, 2024 तक 2 साल और बढ़ा दी गई है। चरण 2 के तहत, ईवी खरीदारों को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए कुल परिव्यय ₹10,000 करोड़ है।