Highlights
- 2023 के अंत तक शुरु हो सकेगा उत्पादन
- हीरो इलेक्ट्रिक राजस्थान में लगाएगी 1,200 करोड़ रुपये का EV Plant
- सरकार EV गाड़ियों को कर रही प्रमोट
EV Plant: इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन निर्माता हीरो इलेक्ट्रिक ने सोमवार को कहा कि वह राजस्थान में 1,200 करोड़ रुपये प्रति वर्ष मेगा इलेक्ट्रिक वाहन (EV) विनिर्माण केंद्र स्थापित करेगी। कंपनी ने कहा कि उसने निवेश के लिए राजस्थान शिखर सम्मेलन में राज्य सरकार के साथ समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए हैं।
2023 के अंत तक शुरु हो सकेगा उत्पादन
कंपनी के अनुसार, प्रस्तावित इकाई 170 एकड़ में सलारपुर औद्योगिक क्षेत्र में स्थित होगी और 2023 के अंत तक उत्पादन शुरू होगा। हीरो इलेक्ट्रिक के प्रबंध निदेशक नवीन मुंजाल ने कहा कि यह मेगा विनिर्माण सुविधा पूरे भारत में ईवी अपनाने को बढ़ावा देने के लिए हमारी क्षमता वृद्धि का हिस्सा है। यह राज्य को स्वच्छ गतिशीलता समाधान बदलाव और पारिस्थितिक पर्यटन प्रथाओं को बढ़ावा देने का काम करेगा। प्रस्तावित संयंत्र सभी मौजूदा और आगामी हीरो इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों का निर्माण करेगा।
सरकार EV गाड़ियों को कर रही प्रमोट
भारत सरकार के तरफ से इलेक्ट्रिक गाड़ियों को प्रमोट किया जा रहा है। सरकार कई तरह की योजनाओं पर भी काम कर रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, घरेलू इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग में 2030 तक दोपहिया और तिपहिया वाहनों की बिक्री तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। इस श्रेणी के तहत कुल बिक्री में इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया वाहनों की हिस्सेदारी क्रमश: 50 और 70 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी। वाहन कलपुर्जा विनिर्माता संघ (एसीएमए) और मैकिंजी की संयुक्त रूप से तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में यात्री या भारी वाणिज्यिक वाहनों की तुलना में बिजली से चलने वाली दोपहिया और तिपहिया वाहनों की कुल लागत अधिक आकर्षक होने की संभावना है। एसीएमए के 62वें वार्षिक सत्र से इतर यहां जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2030 तक नए इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री 50 प्रतिशत और तिपहिया वाहनों की बिक्री 70 प्रतिशत तक बढ़ सकती है।
पेट्रोल और डीजल का दबदबा कायम रहेगा
रिपोर्ट में कहा गया है कि विद्युतीकरण की धीमी रफ्तार की वजह से भारतीय यात्री और भारी वाणिज्यिक वाहन खंड में परंपरागत ईंजन (पेट्रोल और डीजल) का दबदबा कायम रहेगा। रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक कुल वाहन बिक्री में इलेक्ट्रिक यात्री वाहनों की हिस्सेदारी 10-15 प्रतिशत और भारी वाणिज्यिक वाहनों की हिस्सेदारी पांच से 10 प्रतिशत की होगी।