Tuesday, December 24, 2024
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सेकेंड हैंड कार की बिक्री में मार्जिन होने पर ही देना होगा GST, यहां अच्छी तरह समझ लें न हों कन्फ्यूज

अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को पुरानी कार बेचता है, तो उस पर जीएसटी नहीं लगेगा। जानकार का कहना है कि जहां रजिस्टर्ड यूनिट ने आयकर अधिनियम 1961 की धारा 32 के तहत मूल्यह्रास का दावा किया है, ऐसी स्थिति में जीएसटी सिर्फ सप्लायर के मार्जिन वाले मूल्य पर देना होगा।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Dec 24, 2024 21:45 IST, Updated : Dec 24, 2024 21:45 IST
रजिस्टर्ड यूनिट को सेकेंड हैंड गाड़ी की बिक्री पर जीएसटी, गाड़ी बेचने वाले को मार्जिन यानी फायदा होन
Photo:FILE रजिस्टर्ड यूनिट को सेकेंड हैंड गाड़ी की बिक्री पर जीएसटी, गाड़ी बेचने वाले को मार्जिन यानी फायदा होने पर ही देना होगा।

जीएसटी परिषद ने बीते सप्ताह अपनी मीटिंग में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) सहित सभी पुराने यानी सेकेंड हैंड गाड़ियों की बिक्री पर जीएसटी की 18 प्रतिशत की सिंगल रेट तय करने का फैसला लिया। पहले अलग-अलग दरें लगाई जाती थी। इस पर मामले से जुड़े एक जानकार ने मंगलवार को यह बताया कि रजिस्टर्ड यूनिट को सेकेंड हैंड गाड़ी की बिक्री पर जीएसटी, गाड़ी बेचने वाले को मार्जिन यानी फायदा होने पर ही देना होगा।

...तब जीएसटी नहीं लगेगा

यहां समझ लें, अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को पुरानी कार बेचता है, तो उस पर जीएसटी नहीं लगेगा। जानकार का कहना है कि जहां रजिस्टर्ड यूनिट ने आयकर अधिनियम 1961 की धारा 32 के तहत मूल्यह्रास का दावा किया है, ऐसी स्थिति में जीएसटी सिर्फ सप्लायर के मार्जिन वाले मूल्य पर देना होगा। मार्जिन प्राइस ऐसे सामान की सप्लाई के लिए मिली कीमत और मूल्यह्रास मूल्य के बीच का अंतर है। जहां ऐसा मार्जिन मूल्य नकारात्मक है, वहां कोई जीएसटी नहीं लगेगा।

ऐसे समझें आखिर क्या कहा गया

उदाहरण के लिए, मान लीजिए कोई रजिस्टर्ड यूनिट 20 लाख रुपये की खरीद कीमत वाले किसी पुराने या सेकेंड हैंड गाड़ी को 10 लाख रुपये में बेच रही है और उसने आयकर अधिनियम के तहत उसपर आठ लाख रुपये के मूल्यह्रास का दावा किया है, तो उसे कोई जीएसटी नहीं देना होगा। इसकी वजह यह है कि सप्लायर का बिक्री मूल्य 10 लाख रुपये है और जबकि मूल्यह्रास के बाद उस वाहन की मौजूदा कीमत 12 लाख रुपये बैठती है। इस तरह विक्रेता को बिक्री पर कोई लाभ नहीं मिल रहा है। अगर उपरोक्त उदाहरण में मूल्यह्रास के बाद मूल्य 12 लाख रुपये पर समान रहता है और बिक्री मूल्य 15 लाख रुपये है, तो सप्लायर के मार्जिन यानी तीन लाख रुपये पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी देना होगा।

किन मामले में देना होगा 18 प्रतिशत जीएसटी

किसी भी दूसरे मामले में, जीएसटी सिर्फ उस मूल्य पर लगेगा जो सप्लायर का मार्जिन यानी बिक्री मूल्य और खरीद मूल्य के बीच का अंतर है। फिर, जहां ऐसा मार्जिन नकारात्मक है, वहां कोई जीएसटी नहीं लगेगा। जैसे अगर कोई रजिस्टर्ड यूनिट किसी व्यक्ति को पुराना वाहन 10 लाख रुपये में बेच रही है और रजिस्टर्ड यूनिट द्वारा गाड़ी की खरीद कीमत 12 लाख रुपये थी, तो उसे मार्जिन के रूप में कोई जीएसटी देने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस मामले में सप्लायर का मार्जिन नकारात्मक है। ऐसे मामलों में जहां गाड़ी की खरीद कीमत 20 लाख रुपये और बिक्री मूल्य 22 लाख रुपये है, सप्लायर के मार्जिन यानी दो लाख रुपये पर 18 प्रतिशत जीएसटी देना होगा।

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