EV Fire: देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) खासतौर पर इलेक्ट्रिक स्कूटरों की मांग जोरदार है। लेकिन बीते कुछ महीनों से इलेक्ट्रिक स्कूटरों में लग रही आग की घटनाओं ने नए खरीदारों को एक बार फिर विचार करने पर मजबूर कर दिया है। बीते सप्ताह टाटा नेक्सन ईवी में आग की घटना ने तो कंज्यूमर सेंटिमेंट को जबर्दस्त धक्का पहुंचाया है।
आग लगने की घटनाओं के बाद सरकार ने इसके लिए एक एक्सपर्ट पैनल का गठन किया था। अंग्रेजी अखबार इकोनोमिक टाइम्स ने इस रिपोर्ट के कुछ पॉइंट प्रकाशित किए हें। अखबार के मुताबिक जांच कर रहे एक एक्सपर्ट पैनल ने पाया है कि इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर वाहनों में आग की अहम वजह बेसिक सेफ्टी सिस्टम की भी कमी है। माना जा रहा है कि एक्सपर्ट पैनल की रिपोर्ट के बाद सरकार इस कमी को ठीक करने के उपाय और निर्माताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकती है।
बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम में मिली खामी
जांच में पाया गया है कि पैनल को ज्यादा गर्म बैटरियों की ऊर्जा को बाहर निकालने के लिए कोई वेंटिंग सिस्टम नहीं मिला। इसके अलावा बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम में गंभीर खामियां मिली हैं। रिपोर्ट में आया है कि कई इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन कंपनियां शॉर्टकट पर यकीन कर रही हैं और केवल न्यूनतम कार्यक्षमता पर ही उनका फोकस है।
डिजाइन में खामियां
सरकार की ओर से गठित जांच कमेटी ने पाया कि देश में चल रहे कई इलेक्ट्रिक स्कूटरों की बैटरी की डिजाइन में काफी कमियां हैं। माना जा रहा है कि अब विशेषज्ञ अब बैटरी की समस्या को हल करने के लिए ईवी निर्माताओं के साथ काम करेंगे। पैनल की इस जांच में ओकिनावा ऑटोटेक, बूम मोटर, प्योर ईवी, जितेंद्र ईवी और ओला इलेक्ट्रिक को शामिल किया था, इन्हीं कंपनियों के स्कूटरों में आग की घटना सामने आई थी।
बैटरियों के लिए नए BIS स्टैंडर्ड
केंद्रीय मानक-निर्धारण एजेंसी भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने कुछ ही दिन पहले इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों से जुड़े न्यूनतम मानक तय किए हैं। नए मानकों के तहत बैटरियों को परफॉर्मेंस, विश्वसनीयता और इलेक्ट्रिक कार्यक्षमता के आधार पर टेस्ट से गुजरना होगा।