दुनिया भर की आटोमोबाइल इंडस्ट्री अब इलेक्ट्रिक व्हीकल की करवट बैठ रही है। पर्यावरण की सुरक्षा और पारंपरिक ईंधन के सीमित भंडारों को देखते हुए अब पेट्रोल डीजल से चलने वाली कारों पर प्रतिबंध की तैयारियां भी शुरू कर दी गई है। इस बीच यूरोपीय संघ की ओर से बड़ा कदम उठाने के खबरें भी सामने आ रही हैं। यूरोपीय संघ के देश 2035 तक अपने यहां पेट्रोल डीजल वाहनों की बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने पर सहमत हो गए हैं।
यूरोपीय संघ ने 2035 तक पेट्रोल-डीजल कारों पर प्रतिबंध लगाने को मंजूरी दी ब्रसेल्स, 28 अक्टूबर (एपी) यूरोपीय संसद और यूरोपीय संघ (ईयू) के सदस्य देशों ने वर्ष 2035 तक नयी पेट्रोल और डीजल से चलने वाली कारों एवं वैन की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक समझौता किया है। ईयू के वार्ताकारों के बीच इस समझौते पर बृहस्पतिवार रात को सहमति बनी।
'फिट फॉर 55' पैकेज का यह पहला समझौता
इस दशक में वैश्विक तापवृद्धि का कारण बनने वाली गैसों के उत्सर्जन में कटौती के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए यूरोपीय आयोग द्वारा गठित 'फिट फॉर 55' पैकेज का यह पहला समझौता है। यूरोपीय संसद ने कहा कि यह समझौता ''संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से पहले एक स्पष्ट संकेत है कि यूरोपीय संघ अपने जलवायु कानून में निर्धारित अधिक महत्वाकांक्षी लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए ठोस कानून अपनाने को लेकर गंभीर है।''
ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ा
यूरोपीय संघ के आंकड़ों के अनुसार, परिवहन ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जहां पिछले तीन दशकों में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ा है। परिवहन उत्सर्जन 1990 और 2019 के बीच 33.5 प्रतिशत तक बढञ गया है। यात्री कारें प्रदूषण फैलाने में अहम भूमिका निभाती हैं। ईयू के सड़क परिवहन से पैदा होने वाले कुल कार्बन डाई आक्साइड उत्सर्जन का 61 प्रतिशत यात्री कारें ही हैं।
2050 तक जलवायु तटस्थता का लक्ष्य
यूरोपीय संसद की पर्यावरण समिति के प्रमुख पास्कल कैनफिन के अनुसार, ''यह एक ऐतिहासिक निर्णय है क्योंकि यह पहली बार 2025, 2030 और 2035 में लक्ष्य के साथ एक स्पष्ट शून्य-कार्बन उत्सर्जन मार्ग को परिभाषित करता है। यह वर्ष 2050 तक जलवायु तटस्थता के हमारे लक्ष्य के साथ जुड़ा हुआ है।''