भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में पिछले कुछ सालों से लगातार तेजी का रुझान देखा जा रहा है। ईवी में कॉमर्शियल व्हीकल (खासकर तिपहिया की बिक्री) के साथ पैसेंजर व्हीकल्स की भी बिक्री जबरदस्त तेजी से बढ़ती जा रही है। बावजूद ज्यादातर लोगों में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (ईवी) को लेकर मन में कई तरह की आशंकाएं हैं। कई तरह के मिथ्स मौजूद हैं। देश के ईवी मार्केट में सबसे ज्यादा मार्केट हिस्सेदारी रखने वाली कंपनी टाटा मोटर्स ने ऐसे मिथ्स पर से पर्दा उठाया है और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को लेकर कई अहम बातों को स्पष्ट किया है। आइए क्या मिथ्स हैं और क्या सच्चाई, इसे जान लेते हैं।
मिथक 1: ईवी को चार्ज होने में बहुत समय लगता है
सच्चाई: सिर्फ 20 मिनट के चार्ज में, टाटा.ईवी 100 किलोमीटर से ज़्यादा की रेंज दे सकती है।
मिथक 2: ईवी की बैटरी की लाइफ़ सिर्फ़ उसकी वारंटी तक ही चलती है।
सच्चाई: ईवी की बैटरी, किसी भी उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जैसे कि स्मार्टफ़ोन या टैबलेट की तरह, वारंटी के बाद भी चलती है
मिथक 3: ईवी को खरीदना और उसका रख-रखाव करना महंगा है।
सच्चाई: ईवी में कम पार्ट्स होने की वजह से रख-रखाव की लागत कम होती है।
मिथक 4: ईवी खरीदना महंगा है।
सच्चाई: पेट्रोल से चलने वाले वाहन की तुलना में ईवी 5 साल में 4.2 लाख से ज़्यादा बचाता है।
मिथक 5 : बहुत से लोग ईवी नहीं रखते।
सच्चाई: सड़कों पर 1.5 लाख से ज़्यादा सिर्फ टाटा.ईवी हैं और यह संख्या बढ़ती जा रही है। इसके अलावा कई कंपनियों की ईवी भी मार्केट में मौजूद हैं।
मिथक 6: भारत में बहुत ज़्यादा चार्जिंग स्टेशन नहीं हैं।
सच्चाई : भारत में वर्तमान में 12,000 से ज़्यादा सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन हैं।
मिथक 7: बारिश के दौरान ईवी चलाना ख़तरनाक है।
सच्चाई : ईवी की मोटर और बैटरी IP67 रेटेड है और यह वाटर प्रूफ़ और डस्ट प्रूफ़ है।
मिथक 8: ईवी को चार्ज करना जटिल है।
सच्चाई: ईवी को चार्ज करना परेशानी मुक्त है और इसे घर पर आसानी से चार्ज किया जा सकता है।