Delhi-Mumbai Expressway News: केंद्र सरकार ने सर्विस रोड से लेकर नेशनल हाइवे (National Highway) के निर्माण और मरम्मत में प्लास्टिक कचरे का उपयोग अनिवार्य कर दिया है। इससे सड़कें अधिक टिकाऊ, सस्ती, मजबूत और गड्ढा मुक्त बनेंगी। साथ ही शहरी प्लास्टिक कचरे के निस्तारण में भी आसानी होगी। इसके अलावा प्लास्टिक कचरे के उपयोग से पर्यावरण को नुकसान होने का खतरा कम हो जाता है और जानवरों विशेषकर गायों की मृत्यु हो जाती है। कई बार ये देखा गया है कि प्लास्टिक खाने से जानवर की मौत हो जाती है। अगर सही तरीके से वेस्ट प्लास्टिक का मैनेजमेंट होना शुरू हो जाएगा तो इससे नुकसान होने का खतरा कम रहेगा। यह पर्यावरण के लिए भी नुकसानदेह होता है और प्रदूषण का भी कारण बनता है। इसीलिए सरकार इसका इस्तेमाल रोड बनाने में करना चाहती है। आइए सरकार के प्लान के बारे में विस्तृत तरीके से जान लेते हैं।
10 फीसदी अभी हो रहा इस्तेमाल
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने हाल ही में राज्यों और केंद्र सरकार की सड़क निर्माण एजेंसियों को दिशा-निर्देश जारी किए थे। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जनवरी 2017 में उसने ठोस कचरा-प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल सड़क निर्माण में करने का फैसला किया था। इसमें नेशनल हाइवे के निर्माण में 10 फीसदी प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल होता है। उन्होंने कहा कि अब तक कई हजार किलोमीटर राजमार्गों के निर्माण में प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल किया जा चुका है। दिल्ली, चेन्नई, पुणे, जमशेदपुर, इंदौर, लखनऊ आदि शहरों में प्लास्टिक की बेकार सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। नई गाइडलाइन में सरकार ने पांच लाख आबादी वाले शहरी-ग्रामीण क्षेत्रों में 50 किलोमीटर के दायरे में नेशनल हाइवे की सर्विस रोड के निर्माण और मरम्मत में प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया है। इसके लिए जगह-जगह प्लास्टिक कचरे के कलेक्शन सेंटर बनाए जाएंगे, ताकि प्लास्टिक कचरे को हॉट मिक्स प्लांट तक पहुंचाया जा सके।
रोड में प्लास्टिक अधिक से अधिक इस्तेमाल करने की कोशिश
इंडियन रोड कांग्रेस (आरआरसी) के प्लास्टिक कोड के नए मानक नवंबर 2013 में तैयार किए गए थे। सड़क निर्माण में प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल करने वाला यह दुनिया का पहला प्लास्टिक कोड है। इसमें हॉट मिक्स प्लांट में 10 फीसदी प्लास्टिक वेस्ट को तारकोल के साथ मिलाया जाता है। यह 15 प्रतिशत कम तारकोल की खपत करता है और राजमार्ग को पांच के बजाय 10 साल (दो बार) के लिए टिकाऊ बनाता है। प्लास्टिक जल प्रतिरोधी होने के कारण बारिश का पानी घुसने से सड़क पर गड्ढे नहीं होते और गर्मी और सर्दी के बदलते मौसम में सड़कें खराब नहीं होती है। सरकार के आदेश के मुताबिक, अगर दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे में प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता है तो उस एक्सप्रेसवे की लंबाई करीब 1386 किलोमीटर है। उसके मुताबिक, 10 फीसदी भी इसमें प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है तो यह 130 किलोमीटर से अधिक होगा। वैसे सरकार की कोशिश अधिक से अधिक इस्तेमाल करने की है।
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