कार खरीदरों के बीच गाड़ी खरीदने का पैमाना बदल गया है। अब लोगों के बीच माइलेज पहली प्राथमिकता नहीं रह गई है। अब सुरक्षा पहली प्राथमिकता बन गई है। एक सर्वे से यह जानकारी मिली है। स्कोडा ऑटो इंडिया और एनआईक्यू बेसेस द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, कार खरीदते समय ईंधन क्षमता मापन अब तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। अध्ययन से पता चला कि ग्राहकों में कार की सुरक्षा सुविधाओं के प्रति भारी झुकाव है और 10 में से 9 ग्राहकों का मानना था कि भारत में सभी कारों की सुरक्षा रेटिंग होनी चाहिए। सर्वे में शामिल लोगों का कहना है कि वाहन खरीदने को लेकर उनका निर्णय सुरक्षा रेटिंग और वाहन में एयर बैग्स की संख्या पर निर्भर करता है। अध्ययन के अनुसार, कार खरीदते समय ग्राहक का निर्णय कार क्रैश रेटिंग पर सबसे ज्यादा निर्भर करता है। सर्वेक्षण में 22.3 प्रतिशत ग्राहकों ने इसे वरीयता दी, वहीं 21.6 प्रतिशत एयरबैग्स की संख्या को वरीयता देने वाले थे।
5-स्टार रेटिंग को वरीयता
बात जब कार के लिए क्रैश रेटिंग की आती है तो 22.2 प्रतिशत ग्राहकों ने 5-स्टार रेटिंग को वरीयता दी, जबकि 21.3 प्रतिशत ग्राहकों ने 4-स्टार रेटिंग को चुना। सर्वेक्षण के अनुसार, शून्य क्रैश रेटिंग को सबसे कम 6.8 प्रतिशत ग्राहकों ने चुना। रिपोर्ट के अनुसार, माइलेज वाहन खरीद के समय 15 प्रतिशत ग्राहकों के साथ तीसरा सबसे महत्वपूर्ण घटक रहा। इसमें कहा गया कि उत्तरदाताओं में लगभग 67 प्रतिशत पहले से ही कार मालिक हैं, जिनके पास पांच लाख रुपये से ज्यादा की कार है। लगभग 33 प्रतिशत उत्तरदाताओं के साथ पास कार नहीं है लेकिन वह एक साल के अंदर पांच लाख रुपये से ज्यादा कीमत की कार खरीदना चाहते हैं।
10 राज्यों में किया गया सर्वे
यह सर्वे भारत के 10 राज्यों में 1000 लोगों के बीच किया गया। इसमें शामिल किए गए राज्यों में तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश/तेलंगाना, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश हैं। यह अध्ययन भारत सरकार एवं अन्य नियामकों द्वारा सुरक्षा पर गहरे फोकस के साथ उपभोक्ताओं के बीच कारों में सुरक्षा के प्रति धारणा के आकलन के लिए किया गया। इस सर्वे में उन विशेषताओं को ट्रैक किया गया, जिनसे उपभोक्ताओं की पसंद सबसे ज्यादा प्रभावित होती है। इस सूची में सुरक्षा सबसे ऊपर थी। क्रैश टेस्ट में 5-स्टार सेफ्टी रेटिंग के दो सेट होने के बारे में जागरुकता काफी ज्यादा 76 प्रतिशत थी, जबकि भारत में केवल 30 प्रतिशत ग्राहक ही बच्चे/पीछे की सीट पर बैठे लोगों की सेफ्टी रेटिंग के इन दो सेट्स में होने की बात जानते हैं।