भारत में ईवी इंडस्ट्री धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ती जा रही है। शेयर बाजार से लेकर ईवी शोरूम में ग्राहकों की पहली पसंद बनने की ओर अग्रसर है। ग्राहक ईवी खरीदना तो चाह रहे हैं लेकिन उनकी कुछ शर्तें कंपनियों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। लगभग 54 प्रतिशत उपभोक्ता अभी भी ईवी गुणवत्ता को लेकर परेशान हैं। सोमवार को एक रिपोर्ट में दिखाया गया है कि ईवी रेंज की चिंता अब एक गलत धारणा प्रतीत होती है।
साइबरमीडिया रिसर्च (सीएमआर) की रिपोर्ट के मुताबिक, उपभोक्ता 'ईवी रेंज की चिंता' या 'अपफ्रंट कॉस्ट', या 'सीमित ईवी चार्जिग इंफ्रास्ट्रक्चर' के कारण ईवी से दूर नहीं भाग रहे हैं।
पर्याप्त रेंज वाले इलेक्ट्रिक वाहन तैयार
सीएमआर में स्मार्ट मोबिलिटी प्रैक्टिस के विश्लेषक जॉन मार्टिन ने कहा, "लंबे समय से सीमित ईवी चार्जिग इंफ्रास्ट्रक्चर और रेंज की चिंता को ईवी अपनाने के लिए बाधाओं के रूप में माना गया है। हालांकि, ऑटोमोटिव ओईएम ने पहले ही 200 किलोमीटर या उससे अधिक की पर्याप्त रेंज वाले इलेक्ट्रिक वाहन तैयार कर लिए हैं।"
ईवी की गुणवत्ता को लेकर अधिक चिंतित
ईवीएस के लिए संभावित उपभोक्ता ईवी की गुणवत्ता को लेकर अधिक चिंतित हैं। ईवी गुणवत्ता में न केवल बाहरी निर्माण गुणवत्ता शामिल है, बल्कि बैटरी और अन्य सहित- उपयोग किए गए आंतरिक पुर्जो की समग्र गुणवत्ता को संदर्भित करता है।
ईवी चार्जिग इंफ्रास्ट्रक्चर में तेजी
भारत के ईवी चार्जिग इंफ्रास्ट्रक्चर में तेजी आ रही है और अधिक सार्वजनिक ईवी चार्जिग स्टेशन आ रहे हैं। साथ ही, ईवी पारिस्थितिकी तंत्र में क्रॉस-इंडस्ट्री सहयोग भी चार्जिग इंफ्रास्ट्रक्च र के रैंप-अप में योगदान देगा।
निरंतर जागरूकता पैदा करने की जरूरत
मार्टिन ने कहा, "ईवी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर चल रहे नीतिगत जोर से प्रेरित, बैटरी विकास में अपस्ट्रीम आर एंड डी के साथ-साथ रैंप-अप ई-मोबिलिटी में महत्वपूर्ण वृद्धि सुनिश्चित होगी। ओईएम के लिए, ईवीएस की गुणवत्ता और क्षमता के बारे में निरंतर जागरूकता पैदा करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।"