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वाहन कंपनियों के लिए उतार-चढ़ाव भरा रहा वर्ष 2016, डीजल गाड़ियों पर गिरी प्रदूषण की गाज

घरेलू वाहन उद्योग 2016 के उतार चढ़ाव भरे सफर के बाद नए नियमन से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद आने वाले साल की तरफ नई उम्मीदों के साथ देख रहा है।

Dharmender Chaudhary
Published : December 18, 2016 18:10 IST
Year Ender: वाहन कंपनियों के लिए उतार-चढ़ाव भरा रहा वर्ष 2016, डीजल गाड़ियों पर गिरी प्रदूषण की गाज
Year Ender: वाहन कंपनियों के लिए उतार-चढ़ाव भरा रहा वर्ष 2016, डीजल गाड़ियों पर गिरी प्रदूषण की गाज

नई दिल्ली। घरेलू वाहन उद्योग 2016 के उतार चढ़ाव भरे सफर के बाद नए नियमन से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद आने वाले साल की तरफ नई उम्मीदों के साथ देख रहा है। साल 2016 की शुरूआत उद्योग के लिए अच्छी रही और फरवरी में दो साल पर होने वाली वाहन प्रदर्शनी में 108 नए उत्पाद पेश किए गए। लेकिन वृद्धि के लिहाज से लगातार तीसरा साल बेहतर रहने की उसकी इच्छा पूरी नहीं हो पाई। कुल मिलाकर उद्योग के लिए 2016 की शुरुआत तो अच्छी रही लेकिन बाद के महीनों में उसके सामने बड़े-बड़े स्पीड ब्रेकर आते रहे।

प्रदूषण की शिकार बनी डीजल गाड़ियां

  • प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में वाहन उद्योग ही मुख्य निशाना बनता रहा।
  • कभी सम-विषम का नियम बना तो कभी डीजल वाहनों को निशाना बनाया गया।
  • उद्योग को दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 2,000 सीसी और उससे अधिक क्षमता की कारों तथा एसयूवी पर आठ महीने के लिये प्रतिबंध झेलना पड़ा।
  • सियाम के अनुसार इससे उद्योग को 4,000 करोड़ रपये का घाटा हुआ।
  • उद्योग को निर्धारित समय से तीन साल पहले ही मौजूदा बीएस 4 से बीएस 6 उत्सर्जन मानकों को 2020 से अपनाना होगा।
  • यह काम तय समय से तीन साल पहले करना होगा।

इतना ही नहीं अक्तूबर 2017 से सभी नई कारों के मॉडलों को अनिवार्य रूप से टक्कर परीक्षण से गुजरना होगा क्योंकि सरकार ने कड़े सुरक्षा नियमों को पेश करने का फैसला किया है। मौजूदा मॉडलों को उन्नत बनाने के लिये समयसीमा अक्तूबर 2018 है।

सोसाइटी ऑफ इंडियन आटोमोबाइल मैनुफैक्चरर्स के अध्यक्ष विनोद के दसारी ने कहा, नियामकीय मोर्चे तथा जीएसटी के क्रियान्वयन के साथ 2017 में काफी कुछ होने की संभावना है। पूरे साल नीतिगत स्तर पर कई गतिविधियों की उम्मीद है, ऐसे में वाहन उद्योग को निश्चित रूप से चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। कुल मिलाकर दिलचस्प वर्ष रहेगा।

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  • विनोद के दसारी ने 2017 के परिदृश्य के बारे में कुछ भी कहने से मना करते हुए कहा, संभावना जताने के लिए मौजूदा स्थिति थोड़ी मुश्किल है।
  • दसारी ने कहा, नोटबंदी के कारण अर्थव्यवस्था फिलहाल मांग में कमी से अस्थाई रूप से प्रभावित है।
  • स्थिति मार्च 2017 तक बने रहने की संभावना है।
  • उसके बाद अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट सकती है।

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