मुंबई। जर्मनी की वाहन कंपनी फॉक्सवैगन भारत में हर साल और अधिक फीचर वाले नए उत्पाद पेश करने की तैयारी कर रही है। बड़े बाजार खंड में प्रतिस्पर्धा करने के बजाय कंपनी का जोर स्थानीयकरण पर है। पिछले दशक में भारत में अपनी उपस्थिति से सबक लेते हुए दुनिया की सबसे बड़ी वाहन कंपनी ने अपने कामकाज के तरीके में बदलाव किया है। अब वह खुद को भारतीय बाजार का सबसे उचित कीमत वाले प्रीमियम ब्रांड के रूप में स्थापित करने पर जोर दे रही है।
फॉक्सवैगन समूह सेल्स इंडिया के निदेशक (यात्री कार) माइकल मायर ने कहा, अब हम भारत में 10 साल से हैं। लेकिन अभी भी हम सीखने की प्रक्रिया में हैं। हमने शुरुआती दिनों में वेंटो और पोलो के साथ कुछ निष्कर्ष निकाले थे, लेकिन वे शतप्रतिशत सही साबित नहीं हुए। उन्होंने कहा कि कंपनी को बाजार की वृद्धि को लेकर काफी उम्मीदें थीं, लेकिन 2011-13 के दौरान ऐसा नहीं हुआ। इससे हमारी योजना काफी प्रभावित हुई।
- मायर ने कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी विनिर्माता और यूरोप की सबसे बड़ी कार विनिर्माता के तमगे का भारतीय बाजार की दृष्टि से कोई महत्व नहीं है।
- ब्रांड की समझ और और उसके प्रदर्शन तथा भारतीय बाजार में ब्रांड को स्थापित करने की दृष्टि से यह तमगा महत्व नहीं रखता।
यह पूछे जाने पर कि कंपनी ने अपने अनुभव से क्या सीखा, मायर ने कहा, हमने एक जो चीज सीखी है कि भारतीय उपभोक्ताओं को नया चाहिए। यदि आप नियमित आधार पर अपने उत्पाद में बदलाव नहीं करते हैं या कोई ऐसी वजह नहीं देते हैं कि उपभोक्ता पिछले साल के बजाय नया संस्करण खरीदे, तो समझिए आप बाजार से बाहर हैं।