नई दिल्ली। दुनिया की प्रमुख ऑटोमोबाइल कंपनी टोयोटा को एक अप्रत्याशित तरीके से दिल्ली की कंपनी के सामने घुटने टेकने पड़े हैं। टोयोटा दिल्ली की एक स्पेयर पार्ट्स कंपनी ने कानूनी जंग हार गई है। दिल्ली स्थित Prius ऑटो इंडस्ट्रीज पर टोयोटा ने ट्रेडमार्क राइट्स के तहत केस किया था। Prius टोयोटा की एक हाइब्रिड कार जिसे कंपनी ने 1997 में जापान के बाजार में लॉन्च किया था। जापान में इसकी सफलता के बाद कंपनी ने ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के बाजारों में भी इसे 2000-01 के दौरान लॉन्च कर दिया था। भारत में इस कार को 2010 में पेश किया गया, जिसके बाद से भारतीय ऑटो पार्ट्स कंपनी के साथ इसका ट्रेडमार्क विवाद शुरू हुआ।
अपने निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टोयोटा ने भारत में 2010 में Prius को लॉन्च किया था, जबकि प्रियस कंपनी पहले से इस नाम का इस्तेमाल कर रही थी। प्रियस ऑटो इंडस्ट्रीज की ओर से Prius, टोयोटा, टोयोटा इनोवा और टोयोटा डिवाइस नाम का इस्तेमाल अपने स्पेयर पार्ट्स के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। टोयोटा ने प्रियस के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में मुकदमा किया था। यहां हारने के बाद टोयोटा दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गया।
अदालत ने ऑटो स्पेयर पार्ट्स कंपनी पर टोयोटा, टोयोटा इनोवा और टोयोटा डिवाइसेज नाम के इस्तेमाल पर रोक लगा दी। हालांकि उच्च न्यायालय ने दिल्ली स्थित कंपनी को Prius नाम के इस्तेमाल की अनुमति दी। इसके बाद टोयोटा ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया। टोयोटा ने कहा कि उसने जापान और कई अन्य देशों में Prius ट्रेडमार्क का 1990 में ही रजिस्ट्रेशन कराया था। हालांकि कंपनी ने अपनी इस हाइब्रिड कार को भारत में 2010 में लॉन्च किया था, लेकिन तब तक ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन नहीं कराया था। वहीं Prius ऑटो इंडस्ट्रीज ने इस ट्रेडमार्क का रजिस्ट्रेशन 2002 में ही करा लिया था।