नयी दिल्ली। अमेरिका की इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली कंपनी टेस्ला ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों पर आयात शुल्क घटाने की मांग की है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने शुक्रवार को यह कहा। फिलहाल पूर्ण रूप से विनिर्मित इकाई (सीबीसू) के रूप में आयातित कार पर सीमा शुल्क 60 प्रतिशत से 100 प्रतिशत के बीच है। यह इंजन के आकार और लागत, बीमा तथा माल ढुलाई मूल्य 40,000 डॉलर से कम या अधिक पर निर्भर है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘वास्तव में यह राजस्व का मामला है। लेकिन शुल्क में कमी की उनकी मांग सार्वजनिक मंच पर है।’’ हाल ही में, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि टेस्ला के पास भारत में अपनी विनिर्माण इकाई स्थापित करने का एक सुनहरा अवसर है, क्योंकि देश में ई-वाहनों पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने कहा था कि टेस्ला पहले से ही भारतीय वाहन निर्माताओं से वाहनों के विभिन्न कल-पुर्जों की खरीद कर रही है और यहां आधार स्थापित करना आर्थिक रूप से उनके लिये व्यवहारिक होगा।
टेस्ला की 'मॉडल 3' में आई 'खतरनाक' खराबी
एलोन मस्क की ईवी निर्माता टेस्ला चीन में अपनी लगभग 285,000 कारों में ऑटोपायलट सॉफ्टवेयर को रिमोट तरीके अपडेट करेगी, ताकि वाहन चलाते समय ड्राइवरों को गलती से ऑटोपायलट फीचर को सक्रिय करने से रोका जा सके। गिज्मोचाइना के अनुसार, देश की नियामक एजेंसी ने उन दावों की जांच के बाद कहा है कि वाहन चलाते समय ड्राइवर अनजाने में ऑटोपायलट पर स्विच कर लेते हैं। बता दें कि हालिया रिपोर्ट में सामने आया था कि टेस्ला इस साल दिसंबर तक अपनी पहली कार भारत में लॉन्च कर सकती है। समझा जाता है कि रिमोट अपडेट स्थानीय रूप से और विदेश से बनी कारों दोनों को प्रभावित करता है। स्टेट रेगुलेटर, चीन के स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन फॉर मार्केट रेगुलेशन का मानना है कि अगर ऑटोपायलट को मजबूत नहीं किया गया तो सुरक्षा संबंधी चिंताएं रहेंगी।
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