नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने जर्मनी की ऑटो कंपनी फॉक्सवैगन को देश में 3.23 लाख से अधिक वाहनों को रिकॉल करने का रोडमैप पेश करने का आदेश दिया है। फॉक्सवैगन उत्सर्जन घोटाले में फंसी हुई है।
फॉक्सवैगन इंडिया ने उत्सर्जन सॉफ्टवेयर को दुरुस्त करने के लिए दिसंबर 2015 में 3,23,700 वाहनों को वापस मंगाने की घोषणा की थी। इससे पहले, ऑटोमेटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई) ने कंपनी के कुछ मॉडलों का परीक्षण किया था और पाया कि सड़कों पर कारों से उत्सर्जन बी-4 मानकों की तुलना में 1.1 गुना से 2.6 गुना अधिक है।
- वाहन कंपनी ने अमेरिका, यूरोप और अन्य वैश्विक बाजारों में 1.1 करोड़ डीजल इंजन कारों में प्रदूषण को लेकर चकमा देने वाला उपकरण लगाने की बात स्वीकार की थी।
- परीक्षण के बाद फॉक्सवैगन इंडिया ने करीब 3.23 लाख कारों को वापस मंगाकर सॉफ्टवेयर में सुधार किया था।
- इन कारों में ईए 189 डीजल इंजन लगे थे, जो कथित तौर पर उत्सर्जन मानकों का उल्लंघन था।
- हालांकि कंपनी ने कहा कि कारों को वापस मंगाना पूरी तरह स्वैच्छिक मामला था क्योंकि उस पर अमेरिका के विपरीत भारत में उत्सर्जन नियमों के उल्लंघन के संदर्भ में कोई आरोप नहीं है।
- कार विनिर्माता ने एनजीटी से कहा कि एआरएआई ने 3.23 लाख वाहनों के केवल 70 प्रतिशत को मंजूरी दी थी।
- एआरएआई से सॉफ्टवेयर को फिर से डिजाइन करने के लिए सलाह ली जा रही है।
- हालांकि एआरएआई ने कहा कि फॉक्सवैगन ने केवल 70 प्रतिशत वाहनों के लिए फिर से सॉफ्टवेयर डिजाइन किए जाने के बारे में जानकारी दी और शेष 30 प्रतिशत के लिए अभी किया जाना बाकी है।
इस पर न्यायाधीश जवाद रहीम की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा,
प्रतिवादी सवालों में घिरे वाहनों को वापस मंगाए जाने के संदर्भ में रूपरेखा प्रस्तुत करेंगे। इस बीच, हम एआरएआई को वाहन वापस मंगाए जाने के बारे में मौजूदा स्थिति के संदर्भ में रिपोर्ट देने का निर्देश देते हैं।
- पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 मार्च की तारीख मुकर्रर की है।