नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) के चेयरमैन आर सी भार्गव का मानना है कि वाहन उद्योग के समक्ष आ रही सेमीकंडक्टर की कमी अस्थायी है और इसके 2022 तक दूर होने की उम्मीद है। भार्गव ने मंगलवार को कहा कि सेमीकंडक्टर की कमी से मारुति पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा है। हालांकि, इस वजह से कंपनी का उत्पादन आंशिक रूप से प्रभावित हुआ है।
कंपनी की वार्षिक आम बैठक में वर्चुअल तरीके से शेयरधारकों को संबोधित करते हुए भार्गव ने कहा कि देश की सबसे बड़ी कार कंपनी इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) क्षेत्र में गुंजाइश तलाश रही है। हालांकि, ईवी क्षेत्र में कंपनी का प्रवेश तभी होगा जबकि मूल्य के हिसाब से यह उपभोक्ताओं के लिए व्यावहारिक होगा और साथ ही कंपनी को भी कोई नुकसान नहीं होगा। एक शेयरधारक के सवाल पर भार्गव ने कहा कि सेमीकंडक्टर की कमी कोविड-19 की वजह से पैदा हुई अस्थायी समस्या है। हमारा आकलन है कि 2022 तक यह कमी दूर हो जाएगी।
चिप की आपूर्ति में बाधा से उत्पादन पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर मारुति के चेयरमैन ने कहा कि इससे उत्पादन को कुछ नुकसान हुआ है और हमें इसका समायोजन करना पड़ा है। लेकिन इसको लेकर कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है जिस पर चिंता की जाए। भार्गव ने कहा कि मारुति सुजुकी ने मौजूदा वित्त वर्ष में विभिन्न कारोबारी उद्देश्यों पर 4,500 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य रखा है। हालांकि, वास्तविक खर्च का अनुमान साल के अंत पर ही लगाया जा सकेगा।
कंपनी की इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर योजना के बारे में पूछे जाने पर भार्गव ने कहा कि मारुति परंपरागत कार उद्योग की अग्रणी कंपनी है, हम भविष्य में ईवी क्षेत्र में भी सबसे बड़ी कंपनी बनना चाहेंगे। इसके साथ ही उन्होंने जोड़ा कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहन की पहुंच तभी बढ़ेगी जबकि उपभोक्ताओं तक इसकी लागत सस्ती बैठेगी। भार्गव ने कहा कि मारुति इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर में प्रवेश करेगी। हम इलेक्ट्रिक व्हीकल पेश करेंगे, लेकिन हम ऐसा उचित समय आने पर तभी करेंगे जब बड़ी संख्या में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री करना व्यवहारिक होगा और इसको बेचने से कोई नुकसान नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में सरकार का ध्यान दो-पहिया क्षेत्र के इलेक्ट्रिफिकेशन पर है, जहां हीरो इलेक्ट्रिक और ओला सहित कई अन्य कंपनियां इस पर काम कर रही हैं। यात्री वाहन क्षेत्र में, कुछ विनिर्माता इलेक्ट्रिक वाहनों की पेशकश कर रहे हैं लेकिन इनकी बिक्री संख्या बहुत छोटी है और इसका मारुति सुजुकी की बाजार हिस्सेदारी पर कोई प्रभाव नहीं है।
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