चेन्नई। एक महत्वपूर्ण फैसले में मद्रास हाई कोर्ट कहा है कि एक सितंबर से देश में बिकने वाले सभी नए वाहन के लिए संपूर्ण बीमा (बंपर-टू-बंपर) को अनिवार्य किया जाना चाहिए। यह बीमा पांच साल की अवधि के लिए चालक, यात्रियों और वाहन के मालिक को कवर करने वाले बीमा के अतिरिक्त होगा।
बंपर-टू-बंपर बीमा में वाहन के फाइबर, धातु और रबड़ के हिस्सों सहित 100 प्रतिशत कवर मिलता है। न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन ने अपने आदेश में कहा कि इस अवधि के बाद वाहन के मालिक को चालक, यात्रियों, तीसरे पक्ष और खुद के हितों की रक्षा करने के लिए सतर्क रहना चाहिए, ताकि उस पर कोई अनावश्यक उत्तरदायित्व न आए। क्योंकि 5 साल की अवधि के बाद बंपर-टू-बंपर बीमा की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
उन्होंने इरोड में विशेष जिला न्यायालय के मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के सात दिसंबर 2019 के आदेश को चुनौती देने वाली न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की एक रिट याचिका को अनुमति दी। बीमा कंपनी ने कहा कि विचाराधीन बीमा पॉलिसी केवल तृतीय पक्ष द्वारा वाहन को पहुंचे नुकसान के लिए थी, न कि वाहन में सवार लोगों के द्वारा। बीमा कंपनी ने तर्क दिया कि कार मालिक के अतिरिक्त प्रीमियम देने पर कवरेज बढ़ाया जा सकता है।
न्यायाधीश ने कहा कि यह दुखद है कि जब कोई वाहन बेचा जाता है, तो खरीदार को पॉलिसी की शर्तों और इसके महत्व के बारे में स्पष्ट रूप से नहीं बताया जाता है और इसी तरह खरीदार को भी पॉलिसी के नियमों तथा शर्तों को अच्छी तरह समझने में कोई दिलचस्पी नहीं होती, क्योंकि वह वाहन के प्रदर्शन के बारे में अधिक चिंतित रहता है, न कि पॉलिसी के बारे में। जब ग्राहक एक वाहन खरीदने के लिए बड़ी राशि खर्च करने के लिए तैयार है, तब यह जानकार अचंभा होता है कि वह अपने या दूसरों की सुरक्षा के लिए छोटी सी धनराशि पॉलिसी खरीदने पर खर्च करने में रुचि नहीं दिखाता है।
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