नई दिल्ली: महिंद्रा XUV 700 को ग्लोबल सेफ्टी रेटिंग में 5 स्टार रेटिंग मिली है। XUV 700 को एडल्ट कार सेफ्टी में 5 स्टार और चाइल्ड कार सेफ्टी में 4 स्टार मिले है। इसके बाद महिंद्रा की यह कार उस लिस्ट में शुमार हो गई है जो सेफ्टी के लिहाज से दमदार है। घरेलू वाहन विनिर्माता एमएंडएम ने बुधवार को एक बयान में बताया कि एक्सयूवी700 को वयस्कों और बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से 66 में से 57.69 अंक मिले है। उसने कहा कि एनसीएपी द्वारा भारत की किसी भी सात सीटर कार को दी गई यह अबतक की सबसे अच्छी सुरक्षा रेटिंग है, जो एक्सयूवी700 को सबसे सुरक्षित भारतीय वाहन बनाती है।
कंपनी ने बताया कि उसकी एसयूवी गाड़ी को वयस्कों की सुरक्षा के रूप में 17 में से 16.03 अंक और बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से 49 में से 41.66 अंक मिले है। यह रेटिंग भारत की किसी की भी कार को ग्लोबल एनसीएपी से मिली अब तक की सर्वश्रेठ सुरक्षा रेटिंग है। महिंद्रा एक्सयूवी700 का आधिकारिक सुरक्षा परीक्षण ग्लोबल एनसीएपी द्वारा पिछले महीने जर्मनी में आयोजित किया गया था। वाहन दुर्घटना परीक्षण के दौरान पांच स्टार रेटिंग कार की उच्चतम गुणवत्ता को दर्शाती है, जबकि शून्य रेटिंग सबसे ख़राब मानी जाती है।
एमएंडएम के वैश्विक उत्पाद विकास प्रमुख वेलुसामी आर ने कहा, ‘‘जब हम एक्सयूवी700 का निर्माण कर रहे थे, तो हमें विश्वास था कि इस कार पर किए गए आंतरिक परीक्षणों के आधार पर यह पांच स्टार सुरक्षा रेटिंग हासिल करेगी। इस गाड़ी के साथ महिंद्रा न केवल प्रदर्शन और सुविधाओं बल्कि सुरक्षा के मामले में भी एसयूवी श्रेणी को फिर से परिभाषित कर रही है।’’
कैसे होता है क्रैश टेस्ट?
गाड़ियों की सुरक्षा जांचने के लिए कई तरह के क्रैश टेस्ट कराए जाते हैं. इनमें फ्रंटल इंपेक्ट, रन ऑफ रोड, पेडेस्ट्रियन, रीयर एंड आदि शामिल हैं। ये सभी फिजिकल टेस्ट होते हैं जिनमें गाड़ियों के मटीरियल से डमी बनाए जाते हैं. कार में लोगों के आकार की बनी डमी रखी जाती है और दुर्घटना कराई जाती है। यह देखा जाता है कि टक्कर का प्रभाव गाड़ी, ड्राइवर, कोपैसेंजर, बच्चों और वयस्क पर कितना पड़ता है। भारत में दो तरह के टक्कर टेस्ट होते हैं जिनमें पहले ऑफसेट फ्रंटल कॉलीजन टेस्ट और बाद में कॉलीजन टेस्ट किया जाता है। ये क्रैश टेस्ट देश के टेस्टिंग सेंटर इंदौर (नैट्रेक्स), पुणे (एआरएआई), मनेसर (आईसीएटी) और चेन्नई (जीएआरसी) में होते हैं. इन सेंटर्स को नेशनल ऑटोमोटिव टेस्टिंग एंड आरएंडडी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के अंतर्गत बनाया गया है।
आमने-सामने टक्कर का टेस्ट
ऑफसेट फ्रंटल टेस्ट में किसी गाड़ी को 56 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से एक एल्युमिनियम बैरियर से टकराया जाता है। बैरियर कितना बड़ा होगा और उसकी मोटाई क्या होगी, यह सरकार तय करती है। गाड़ी की अगली सीट पर डमी रखे जाते हैं और फिर टक्कर का प्रभाव देखा जाता है। टक्कर के दौरान डमी के अलग-अलग हिस्सों पर अलग-अलग तरह से बल डाले जाते हैं। इसमें यह देखा जाता है कि डमी को कितना नुकसान हुआ और उसी आधार पर सुरक्षा आंकी जाती है। सबसे बड़ी सुरक्षा सिर की देखी जाती है। अगर गाड़ी को क्रैश टेस्ट पास करना है तो टक्कर के दौरान डमी के सिर वाले हिस्से का कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। यहां तक कि टक्कर के दौरान गाड़ी का कोई हिस्सा माथे तक नहीं आना चाहिए। इसी तरह के टेस्ट गर्दन, सीना, फीमर और टीबीया या पैरों के निचले हिस्से पर किए जाते हैं।