नई दिल्ली। दक्षिण कोरिया की प्रमुख ऑटो कंपनी किया मोटर्स वाहन क्षेत्र में नरमी के बावजूद भारत को लेकर उत्साहित है और उसने हर छह महीने में नया वाहन पेश करने की योजना बनाई है। कंपनी अगले साल की शुरुआत में लग्जरी बहु-उपयोगी वाहन (एमपीवी) कार्निवल पेश करेगी। कंपनी का दावा है कि सुविधाओं के मामले में यह देश में अपनी तरह का पहला वाहन होगा।
किया मोटर्स का यह भी मानना है कि सरकार ने कंपनी कर में कटौती समेत सुधारों को लेकर जो कदम उठाए हैं, उससे अगले वित्त वर्ष से आर्थिक वृद्धि तेज होगी और वाहनों की मांग बढ़ेगी। दक्षिण कोरियाई कंपनी की पूर्ण अनुषंगी किया मोटर्स इंडिया के उपाध्यक्ष और बिक्री तथा विपणन प्रमुख मनोहर भट्ट ने आंध्र प्रदेश में अनंतपुर में पहले कारखाने के उद्घाटन के मौके पर कहा कि भारत में काफी संभावनाएं हैं। इसी संभावना को देखते हुए हम अगले साल जनवरी-फरवरी में नया मॉडल कार्नीवल लाएंगे। यह लक्जरी एमपीवी होगी।
उन्होंने कहा कि कार्नीवल अपनी तरह का पहला वाहन होगा। यह 6 से 8 सीट वाली बड़ी और काफी आरामदायक कार होगी। सुविधाओं और विशेषताओं के मामले में इस तरह की गाड़ी अभी भारतीय बाजार में नहीं है। कंपनी के एक अन्य अधिकारी के अनुसार इसकी कीमत 30 लाख रुपए से ऊपर होगी।
मारुति अल्टो जैसी कम कीमत वाली कार लाने के बारे में पूछे जाने पर भट्ट ने कहा कि इस प्रकार के वाहन लाने की हमारी योजना नहीं है। हालांकि, उन्होंने कहा कि अगले साल की शुरुआत में होने वाली वाहन प्रदर्शनी में हम 8 से 10 लाख की श्रेणी में वाहन ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि ग्राहकों की रुचि बदल रही है और उसके अनुसार हम वाहन लाएंगे। हमारी हर छह महीने में नया मॉडल लाने की योजना है।
अनंतपुर कारखाने की उत्पादन क्षमता तीन लाख इकाई सालाना है। तीन पाली के बजाये यहां फिलहाल केवल दो पाली में काम हो रहा है। यानी अभी क्षमता का दो तिहाई ही उपयोग हो पा रहा है। इस कारखाने में कंपनी फिलहाल एसयूवी सेल्टोस बना रही है। अगस्त में पेश इस गाड़ी की अब तक 75,000 इकाइयां बुक हो चुकी हैं। विशेषज्ञ इसे कंपनी का शानदार प्रदर्शन बता रहे हैं।
किया मोटर्स इंडिया के उपाध्यक्ष ने कहा कि भारत हमारे लिए प्राथमिकता वाला बाजार है। फिलहाल हमारा जोर घरेलू बाजार पर है। हम यहां से निर्यात भी करेंगे लेकिन अभी हम घरेलू बाजार पर ध्यान दे रहे हैं। वाहन क्षेत्र में मौजूदा नरमी के बारे में उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से नरमी है। मांग में 12-13 प्रतिशत की कमी आई है। लोगों की खरीदने की इच्छा कम हुई है और इसका कारण कुल मिलाकर आर्थिक स्थिति का उतना अच्छा नहीं होना है, जो 2-3 साल पहले थी।