नयी दिल्ली। धान की कटाई के बाद बचे डंढल और पत्तियों आदि से बायोगैस बनाने वाला देश का पहला संयंत्र हरियाणा के करनाल जिले में लगाया जा रहा है। यह कदम किसानों द्वारा पराली (धान के डंठल) खेतों में जलाने की प्रवृत्ति में कमी लाने के प्रयासों के तहत उठाया गया कदम है। इस बायोगैस का इस्तेमाल सीएनजी वाहनों में किया जा सकता है।
देश की सबसे बड़ी सीएनजी वितरक कंपनी इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड ने एक बयान में बताया कि उसके प्रबंध निदेशक ई.एस. रंगनाथन ने 18 अक्टूबर को करनाल में संयंत्र का भूमि पूजन किया। कंपनी ने कहा कि विशेष मशीन लगाये जाएंगे, जो धान की पराली को काटकर उसका गट्ठर बनाएगा, ताकि पराली का पूरे साल भर के लिए भंडारण बनाया जा सके और संयंत्र चलता रहे। इस संयंत्र की क्षमता साल में 20 हजार एकड़ धान के खतों की पराली को बायोगैस में बदलने की होगी।
कंपनी इस बायोगैस का वितरण करनाल में करेगी, उसने कहा कि संयंत्र 2022 तक तैयार हो जाएगा। इसे सतत योजना के तहत अजय बायो एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड बना रही है। बयान में कहा गया कि संयंत्र से हर दिन अधिकतम 10 हजार किलोग्राम बायोगैस का उत्पादन होगा। मुख्य कच्चा माल के तौश्र पर धान की पराली का इस्तेमाल होगा। इसकी क्षमता हर साल 40 हजार टन पराली की खपत करने की होगी। इसमें तैयार बायोगैस का इस्तेमाल ट्रैक्टर व अन्य भारी मशीनों तथा जेनरेटरों में किया जाएगा। संयंत्र से प्राप्त अवशेष जैविक होंगे और इनका इस्तेमाल जैविक खेती में खाद के तौर पर किया जा सकेगा।
गौरतलब है कि भारत सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा शुरू की गई संपीड़ित बायो गैस (CBG) पर 'SATAT' (सस्टेनेबल ऑप्शनल टुअर्ड अफोर्डेबल ट्रांसपोर्टेशन) योजना के तहत देशभर में 5000 बायो गैस प्लांट की शुरुआत करनी है।