नयी दिल्ली। सरकार की कोशिशें यदि रंग लाईं तो जल्द ही आपको अपनी नई कार में एक की बजाए दो ईंधन का विकल्प मिल सकता है। सरकार वाहन निर्माताओं को फ्लेक्सी फ्यूल अपनाने पर जोर दे रही है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार अगले छह-आठ महीनों में सभी वाहन विनिर्माताओं से यूरो-छह उत्सर्जन मानदंडों के तहत फ्लेक्स-ईंधन इंजन बनाने के लिए कहेगी।
बता दें कि फ्लेक्स-ईंधन या लचीला ईंधन, गैसोलीन और मेथनॉल या एथनॉल के संयोजन से बना एक वैकल्पिक ईंधन होता है। पेट्रोल या डीजल के मुकाबले इसकी कीमत करीब 30 फीसदी तक कम होती है। एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गडकरी ने आगे कहा कि अगले 15 वर्षों में भारतीय वाहन उद्योग 15 लाख करोड़ रुपये का होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हम यूरो-छह उत्सर्जन मानदंडों के तहत फ्लेक्स-ईंधन इंजन के निर्माण की अनुमति देने के लिए उच्चतम न्यायालय में एक हलफनामा देने की योजना बना रहे थे। लेकिन अब मुझे लगता है कि हम सभी वाहन विनिर्माताओं से अगले 6-8 महीनों में यूरो-छह उत्सर्जन मानदंडों के तहत फ्लेक्स-ईंधन इंजन (जो एक से अधिक ईंधन पर चल सकता है) बनाने के लिए कहेंगे।’’
गडकरी ने दावा किया कि सभी वाहन विनिर्माताओं के लिए फ्लेक्स-ईंधन इंजन बनाना अनिवार्य होने के बाद वाहनों की लागत नहीं बढ़ेगी। मंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में भारत हरित हाइड्रोजन का निर्यात करने में सक्षम होगा।