नई दिल्ली। भारत में जितनी तेजी से कार के नए मॉडल्स लॉन्च हो रहे हैं, उतनी ही तेजी से सेकेंड हैंड कारों का बाजार बढ़ रहा है। आज एक से दो साल पुरानी कारें भी सेकेंड हैंड मार्केट में बिकने को पहुंच रही हैं। यही कारण है कि लोग नई कार खरीदने से पहले सेकेंड हैंड कार के बारे में भी पड़ताल करते हैं। लेकिन जब हम किसी दूसरे और तीसरे ओनर की कार खरीदते हैं तो हमें बहुत अधिक सावधानी बरतने की जरूरत होगी। कई बार ऐसा होता है कि आप कोई सेकेंड हैंड कार लेने जाते हैं और उसकी बाहरी खूबसूरती को देखकर इतने आकर्षित हो जाते हैं और बाद में आपको वही सारी चीजें परेशान करती हैं। यही ध्यान में रखते हुए इंडियाटीवी पैसा की टीम आपको बताने जा रही है 5 ऐसी महत्वपूर्ण बातों के बारे में, जिन पर हर सेकेंड हैंड कार ग्राहक को जरूर गौर करना चाहिए।
Second Hand Car
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जांच लें कार एक्सीडेंटल न हो
अक्सर हम गाड़ी के बाहरी रंगरूप को देखकर सेकेंड हैंड गाड़ी खरीद लेते हैं। लेकिन सबसे पहले हमें ये जांच लेना चाहिए कि कहीं ये कार एक्सीडेंटल तो नहीं है। इसके लिए सबसे पहले कार के रंग को चैक करें। अक्सर गाड़ी के ऑरीजनल कलर और रीपेंटिंग में फर्क नजर आता है। गाड़ी के बोनट, दरवाजे के साथ डिक्की को भी भली प्रकार से चैक करें। कार के चारों दरवाजों को खोल कर चैक कर लें क्या वो फिट है कि नहीं। इसके साथ ही कार के बोनट और डिक्की को खोलकर अलाइनमेंट को चैक करें कि वो ठीक से लग रही हैं या नहीं? इंजन देखने के लिए दिन में भी फ्लैशलाइट का इस्तेमाल करें।
कार की इंश्योरेंस हिस्ट्री से करें पड़ताल
आप जो कार खरीदने जा रहे हैं, उसका इंश्योरेंस आपको बहुत कुछ जानकारी दे सकता है। पहले आप आप यह देख लें कि जो कार आपको बेची जा रही है, उसका इंश्योरेंस कराया गया है या नहीं और प्रीमियम सही समय पर भरा गया है या नहीं। इंश्योरेंस क्लेम की हिस्ट्री जानकर आप पता कर सकते हैं कि इसका एक्सीडेंट हुआ है कि नहीं। इंश्योरेंस पेपर आपके नाम से ट्रांसफर हो जाए, यह भी सुनिश्चित करा लें। यह भी देख लें कि कार बेचने की तारीख तक उस कार के मालिक की ओर से रोड टैक्स चुका दिया गया है या नहीं।
टायरों से पता कर सकते हैं कार के हालात
गाड़ी के टायर भी कार की हालात के बारे में बहुत कुछ चुगली कर जाते हैं। कार खरीदने से पूर्व जांच लें कि कार के टायर एक साइज के हैं कि नहीं? इसके अलावा रिम के अलाइनमेंट की भी जांच करा लें। इससे कार को किस हालत में चलाया गया है इसका अंदाजा लग जाएगा। अगर टायर ज्यादा घिसे हैं तो बिल्कुल कार न खरीदें। टायर और रिम भी चेक कर लें। रिम अगर डैमेज है तो इसका मतलब गाड़ी सही ढंग से नहीं चलाई गई है।
मैकेनिक से करवाएं इंजन क्वालिटी की जांच
अक्सर सेकेंड हैंड कार बेचने वाले शोरूम कार को फौरी तौर पर अंदर-बाहर से चमका देते हैं। इससे इंजन को देखकर चैक करना कठिन हो जाता है। फिर भी आप अनुभवी मैकेनिक की मदद से चैक करा सकते हैं। मैकेनिक आपको बता देगा कि इंजन बोर हुआ है कि नहीं, ऑयल लीक तो नहीं है। इसके बाद कार की बैटरी को जांचें लें। बैटरी कंपनी की है या बदली गई है। साथ ही इंजन पर लिखे नंबर को आरसी के नंबर से जरूर मिलाएं। कार के गियर नॉब, क्लच और ब्रेक आदि को जांचें।
रजिस्ट्रेशन पेपर्स की भली प्रकार करें पड़ताल
कार घर लाने से पहले भली प्रकार कागजों को जांच लें। आरटीओ कार्यालय के जरिए कागजों को क्रॉस चैक करवाएं। इसके साथ ही कार के इंजन और चेसिस नंबर को कागजों में लिखे नंबरों से मिला लें। यह सुनिश्चित कर लें कि आप जो कार खरीद रहे हैं उसके पहले खरीदार ने आरटीओ टैक्स, जो हर नई कार खरीदने वाले को देना होता है और यह एक ही बार देना होता है, चुका दिया है। आप जिस व्यक्ति से कार खरीद रहे हैं, उसने अगर बैंक से लोन लेकर कार खरीदी थी, तो आप उससे ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ की मांग करें।