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ऑटोमोबाइल कंपनियों ने कोर्ट में कहा बीएस-तीन वाहनों को बीएस-चार में बदलना संभव नहीं, स्टॉक में हैं 8.2 लाख कारें

ऑटोमोबाइल कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि बीएस-तीन उत्सर्जन मानक वाले मौजूदा दोपहिया और चार पहिया वाहनों को बीएस-चार के अनुरूप बदलना संभव नहीं है।

Dharmender Chaudhary
Published : March 27, 2017 20:22 IST
ऑटोमोबाइल कंपनियों ने कोर्ट में कहा बीएस-तीन वाहनों को बीएस-चार में बदलना संभव नहीं, स्टॉक में हैं 8.2 लाख कारें
ऑटोमोबाइल कंपनियों ने कोर्ट में कहा बीएस-तीन वाहनों को बीएस-चार में बदलना संभव नहीं, स्टॉक में हैं 8.2 लाख कारें

नई दिल्ली। वाहन विनिर्माताओं ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उनके लिए भारत स्टेज (बीएस) तीन उत्सर्जन मानक वाले मौजूदा दोपहिया और चार पहिया वाहनों के तैयार स्टॉक को बीएस-चार मानक के अनुरूप बदलना संभव नहीं है। वाहन विनिर्माता कंपनियों की तरफ से यह बात तब कही गई जब कोर्ट ने सवाल किया कि बीएस-तीन वाहनों को बाजार में उतारने से पहले बीएस-चार मानकों के अनुरूप बदलने पर कितनी लागत आएगी।

एक वाहन विनिर्माता की ओर से अदालत में उपस्थित वकील ने न्यायमूर्ति एम.बी. लोकुर और दीपक गुप्ता की पीठ को बताया, जहां तक कारों और दोपहिया वाहनों की बात है, इन्हें बीएस-तीन से बीएस-चार में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है, यह संभव नहीं है। लागत की बात तो बाद की है। कोर्ट में ऑटोमोबाइल कंपनियों के उस आग्रह पर सुनवाई हो रही थी जिसमें कंपनियों ने उनके स्टॉक में रखी 8.2 लाख बीएस-तीन मानक वाली कारों को बेचने की अनुमति मांगी है।

देश में बीएस-चार मानक इसी साल एक अप्रैल से लागू होने हैं, ऐसे में कंपनियों ने बीएस-तीन मानक के अनुरूप तैयार वाहनों के स्टॉक को बेचने की अदालत से अनुमति मांगी है।

सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार की तरफ से अदालत में पेश सोलिसिटर जनरल रणजीत कुमार ने पीठ से कहा कि बीएस-चार मानक वाले वाहनों के लिए जो ईंधन चाहिए वह काफी स्वच्छ होता है। इस प्रकार के ईंधन का उत्पादन करने के लिए रिफाइनरी कंपनियों ने 2010 के बाद करीब 30,000 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।

उन्होंने कहा कि बीएस-तीन मानक वाले वाहनों को बीएस-चार मानक वाले ईंधन से भी चलाया जा सकता है। ऐसा नहीं है कि इससे बीएस-तीन वाहन बेकार हो जाएंगे। कुमार ने कहा कि उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार देश में करीब 19 करोड़ वाहन सड़क पर चल रहे हैं और बीएस-चार मानक को लेकर जारी अधिसूचना के बाद किसी ने भी इस पर आपत्ति नहीं जताई और न ही कोई चुनौती दी।

उन्होंने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण ने भी अधिसूचना को लेकर सरकार के समक्ष विरोध नहीं जताया और उसने पर्यावरण के बारे में भी कोई रिपोर्ट नहीं दी। यह समिति (ईपीसीए) पिछले 20 सालों से है, लेकिन वह सरकार को रिपोर्ट नहीं दे रहे हैं। सालिसिटर जनरल ने हालांकि, स्पष्ट किया कि वह किसी को दोषी नहीं ठहराना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार यह नहीं कह रही है कि सभी बीएस-तीन वाहन सड़कों से हट जाएं। क्योंकि सड़कों पर जितने भी वाहन हैं उनमें ज्यादातर बीएस-तीन मानक वाले हैं।

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